
सोमवार 14 जुलाई को अपने आवास पर रखेंगे मौन उपवास

कहा ,जरूरत पड़ी तो आयोग के कार्यालय पर भी धरने पर बैठूंगा .
पहाड़ का सच देहरादून।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी एक पोस्ट में कहा है कि ” ये चुनाव आयोगों को क्या हो गया है? दिल्ली वालों ने भी अपनी स्वायत्तता सरकार के पास गिरवी रख ली है। अब उत्तराखंड में भी ऐसा ही लग रहा है। पहले नगर निकायों के चुनाव में और अब पंचायत के चुनाव में आयोग आत्मसमर्पण की मुद्रा में है, कानून के प्रति नहीं बल्कि सत्ता के प्रति।
उन्होंने कहा कि हमारा पंचायती राज एक्ट साफ तौर पर कहता है कि जिन लोगों के नाम नामांकन के वक्त शहरी निकाय में भी हैं और गांव में भी हैं ऐसे लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं उनका पर्चा खारिज होना चाहिए। टिहरी सहित कई जिलों में सेलेक्टिव तरीके से ऐसे पर्चों को वैद्य मान लिया गया है। जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण सहित ऐसे दर्जनों उम्मीदवार हैं जिन्हें सत्ता के दबाव में निर्वाचन अधिकारी लाभ दे रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस के झुकाव वाले उम्मीदवारों के पर्चे बिना किसी कारण खारिज किये जा रहे हैं और भी कई हास्यास्पद कदम इस दौरान राज्य पंचायती आयोग ने उठाए हैं, जिनका जन्म भी 2016 के पंचायती राज एक्ट से हुआ है। वह एक्ट की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसके विरोध में कल दिनांक 14 जुलाई को मैं प्रातः 11:30 बजे से अपने देहरादून स्थित आवास पर 1 घंटे मौन व्रत पर बैठूंगा। आयोग मुझे बाध्य न करे यदि आयोग इसी तरह सत्ता के सामने समर्पण की अवस्था में दिखाई दिया तो मुझे आयोग के सम्मुख भी उपवास पर बैठने में कोई हिच-किचाहट नहीं होगी।
