
पहाड़ का सच चमोली।
विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुल गई है। रविवार एक जून को पहले दिन 49 पर्यटकों के जत्थे को रवाना किया गया। यह घाटी प्रकृति प्रेमियों की पसंदीदा जगह है। पर्यटक 31 अक्टूबर तक घाटी घूम सकते हैं। रजिस्ट्रेशन चारधाम यात्रा की वेबसाइट पर करा सकते हैं।

फूलों की घाटी (Valley Of flowers) खुल गई है। विश्व धरोहर और प्रकृति प्रेमियों की पहली पसंद फूलों की घाटी के लिए रविवार सुबह 7 बजे पर्यटकों का पहला दल घाटी के अंतिम पड़ाव घाघरिया से रवाना हुआ। घाटी खुलने के पहले दिन 45 ऑफलाइन और चार ऑनलाइन पंजीकरण कर पर्यटक यहां पहुंचे।
फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए घूमने की पहली पसंद रहती है। फूलों की घाटी 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। सेंचुरी एरिया होने के कारण पर्यटक फूलों की घाटी में रात्रि को नहीं रुक सकते हैं। पर्यटकों को फूलों की घाटी का घूमने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया लौटना होगा। बेस कैंप घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है।
फूलों की घाटी ट्रैक फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। रोचक बात ये है कि ये घाटी हर 15 दिन में अपना रंग बदल लेती है। फूलों की कुछ प्रजाति ऐसी हैं जो आपको सिर्फ यही देखने को मिलती है। फूलों की घाटी दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना है। यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगी फूल खिलते हैं। हर साल बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार करने आते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के विहंगम नजारे भी देखने को मिलते हैं।
बर्फ पिघलने पर खिलते हैं फूल
घाटी में बर्फ पिघलने के बाद फूलों का खिलना शुरू होता है। इस बेहद खूबसूरत नजारे को देखने के लिए देश-विदेश के हर कोने से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। फूलों की घाटी में लगभग 350 से अधिक प्रजातियों के फूल जुलाई अगस्त में देखने को मिलते हैं। यह घाटी का पीक समय होता है और पूरे सीजन यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिले रहते हैं।
फूलों की घाटी के लिए कराएं रजिस्ट्रेशन
समुद्र तल से लगभग 11,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी का दीदार करने का सर्वोत्तम समय जुलाई से सितंबर तक रहता है। यहां आने के लिए चारधाम यात्रा रजिस्ट्रेशन की वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। अन्यथा ऋषिकेश में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है।
फूलों की घाटी के पास स्टे
ऋषिकेश से लगभग 265 किलोमीटर सड़क मार्ग से चमोली जिले के पुलना गांव पहुंचना होता है। इसके बाद यहां से लगभग 10 किलोमीटर का पैदल ट्रैक कर फूलों की घाटी पहुंचा जा सकता है। यहां पिट्ठू खच्चर आदि की सुविधा भी उपलब्ध रहती है। रुकने के लिए होमस्टे और गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं।
इन बातों का ध्यान रखें पर्यटक
फूलों की घाटी ट्रैक पर जाने से पहले पर्यटकों को कुछ सावधानियां बरतते हुए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यहां रास्ता दुर्गम और पथरीला है, ऐसे में अपने साथ अच्छी और मजबूत क्वालिटी के जूते ले जाएं। साथ ही सहारे के लिए स्टिक जरूर रख लें। पहाड़ी इलाका होने के कारण बारिश और बर्फबारी कभी भी शुरू हो सकती है, इसलिए गर्म कपड़े और छाता-रेनकोट आदि ले जाना जरूरी है। वहीं यहां दूर-दूर तक चिकित्सा सुविधा का अभाव है, ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर अपनी जरूरी दवाइयां जरूरी ले लें।
