– आर्मी बैंड ने भरा जोश तो स्कूली बच्चे व कलाकारों ने बिखेरी संस्कृति की छटा
पहाड़ का सच,बागेश्वर
ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले का सांस्कृतिक झांकी के साथ आगाज हो गया है। झांकी को कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत व जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। झांकी में आर्मी बैंड ने जहां देश भक्ति का जोश भरा तो कलाकारों व स्कूली बच्चों ने स्थानीय पारम्परिक संस्कृति के साथ ही विविध प्रांतों की संस्कृति की छटा बिखेरी।झांकी तहसील परिसर से शुरू होकर नुमाईश मैदान में जाकर समाप्त हुई।
तहसील मुख्यालय से झांकी को कुमाऊँ कमिश्नर दीपक रावत व जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। झांकी में सबसे पहले संस्कृति व विजय का वाहक निषाण लेकर कलाकार चले। इसके बाद सबसे आगे सेना के जवान देश भक्ति गीतों की धुन व भारत मां की जय के नारों के साथ चलकर देश भक्ति का जोश पैदा किया। इसके बाद खेल विभाग की 38वें राष्ट्रीय खेल की झांकी, गंगोलीहाट के छोलिया नृतक, राबाइंका बागेश्वर की कलश यात्रा झांकी ने भी मेलार्थियों का मन मोहा।
इसके अलावा न्यू सैनिक जूहा स्कूल, हिमालयन सेंट्रल स्कूल, राइंका मंडलसेरा, विवेकानंद विद्या मंदिर मंडलसेरा, महर्षि विद्या मंदिर बिलौना, आनंदी एकेडमी बनखोला व घिरौली, सेंट जोजफ थूनाई, गायत्री विद्या मंदिर बागेश्वर, हिमालयन चिल्ड्रन एकेडमी राइंका बागेश्वर, कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल, सैनिक हाईस्कूल, सरस्वती शिशु मंदिर चैरासी, नेशनल मिशन स्कूल व राइंका सैलानी के बच्चों ने विविध संदेश देने के साथ ही संस्कृति का प्रदर्शन करते हुए झांकी निकाली। झांकी में जौहार सांस्कृतिक समिति, मदकोट का नगाड़ा, हरीश राम को बैंजों व भनार कपकोट के छोलिया नृतक भी शामिल रही।
संस्कृति के विकास में सहायक होते हैं मेले-आयुक्त
कुमांऊ आयुक्त दीपक रावत ने दीप प्रज्जवलित व रिवन काटकर उत्तरायणी मेला का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेले संस्कृति के संवाहक होते है। संस्कृति के विकास में मेलों का काफी महत्व है तथा मेले संस्कृति के विकास में सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तरायणी मेला ऐतिहासिक,धार्मिक व व्यापार के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने आयुक्त समेत सभी मेलार्थियों का स्वागत करते हुए मेलार्थियों से मेले को शांतिपूर्ण संपन्न कराने की अपील की।
कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने नुमाईश खेत में आयोजित उत्तरायणी मेले का दीप प्रज्वलन के साथ ही फीता काटकर विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने नुमाइश में लगे स्टालों का निरीक्षण किया तथा जानकारी प्राप्त की। मेलार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेले हमारी संस्कृति के विकास में सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा बागनाथ की भूमि में लगने वाला उत्तरायणी मेले का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के साथ ही व्यापारिक महत्व भी है। उन्होंने उत्तरायणी का दिन कुली बेगार प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाले बीडी पांडे को याद करने वाला भी बताया। उन्होंने युवाओं में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके उन्मूलन के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है,सामाजिक जागरूकता से ही नशे को दूर किया जा सकता है। मेले के पुराने स्वरूप को बरकरार रखने के लिए मंडलायुक्त ने जनपदवासियों के साथ ही प्रशासन को बधाई दी। इस दौरान स्थानीय लोगों की फरमाईश पर मंडलायुक्त ने ‘‘झन दीया बौज्यू छाना बिलौरी,लागला बिलौरी का घामा’’ कुमाऊनी गीत गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
मेला संरक्षक/जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मेलार्थियों से मेले को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि मेले को आकर्षक बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए गए हैं। सात दिन तक चलने वाले मेले में स्थानीय कलाकारों के साथ ही बाहरी क्षेत्र से कलाकारों को बुलाया गया है। पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर घोड़के ने कहा कि मेलार्थियों व व्यापारियों की सुरक्षा व सेवा के लिए पुलिस बल हमेशा तत्पर है। इस दौरान विभिन्न विद्यालयों के बच्चों द्वारा स्वागत गीत के साथ ही रंगारंग कार्यक्रमो की प्रस्तुतियां दी। साथ ही ताइक्वांडो व अन्य खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाडियों एवं स्वच्छता के प्रति जागरूता के लिए कुंदन प्रसाद व जागर गायिका कमला देवी को कुमाऊं कमिश्नर ने सम्मानित किया।
इस दौरान अपर जिलाधिकारी एनएस नबियाल, मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी, उपजिलाधिकारी व मेलाधिकारी मोनिका, नगर पालिका ईओ मोहम्मद यामीन, हयात सिंह परिहार, भुवन कांडपाल, रघुवीर दफौटी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ राजीव जोशी व जयंत भाकुनी द्वारा किया गया।