
पहाड़ का सच।
कोटद्वार: गढ़वाल में 4 बग्वाल होती है, पहली बग्वाल कर्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है. दूसरी अमावस्या को पूरे देश की तरह गढ़वाल में भी अपनी लोक परंपराओं के साथ मनाई जाती है। तीसरी बग्वाल बड़ी बग्वाल (दिलावी) के ठीक 11 दिन बाद आने वाली, कर्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। पुराने समय मैं ये पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और उत्तराखण्ड क्रांति दल डेमोक्रेटिक पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता रोहित डंडरियाल ने उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति के प्रतीक और गढ़वाली दीपावली ईगास पर प्रदेश सरकार से सार्वजनिक अवकाश घोषित किए जाने की मांग उठाई है।
जिसके लिए रोहित डंडरियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि आगामी 13, 14 नवंबर को प्रदेश का पारंपरिक लोक त्यौहार इगास मनाया जाना है किन्तु इस उपलक्ष में प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश नहीं है। जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि इगास के उपलक्ष में प्रदेश भर में आगामी वर्षों के लिए भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।
बग्वाल दीपावली के ठीक 11वें दिन बाद में इगास पर्व मनाया जाता है। पहाड़ की दीपावली इगास में लक्ष्मी पूजन के साथ ही गायों की पूजा की जाती है। इस पर्व की खास बात यह है कि आतिशबाजी करने के बजाय लोग रात के समय पारंपरिक भैलो खेलते हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित करें। ताकि सभी जन लोकपर्व को उल्लास पूर्वक मना सकें।
