ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 19 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 3 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 27 आश्विन मास*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – द्वितीया प्रातः 09:48 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र – भरणी प्रातः 10:46 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*⛅योग – सिद्धि शाम 05:42 अक्टूबर 18 तक, तत्पश्चात व्यतीपात*
*⛅राहु काल – प्रातः 09:13 से प्रातः 10:38 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:22*
*⛅सूर्यास्त – 05:42*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:59 से 05:48 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 अक्टूबर 20 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 20 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – मासिक कार्तिगाई*
*⛅विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है व तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*
*🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*
*🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि ‘हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।’*
*🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*
*🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*
*🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*
*🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*
*🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*
*🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*
*🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*
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