
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 03 फरवरी 2025*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*🌥️अमांत – 21 गते माघ मास प्रविष्टि*
*🌥️राष्ट्रीय तिथि – 13 माघ मास*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – पञ्चमी प्रातः 06:52 तक तत्पश्चात षष्ठी प्रातः 04:37 फरवरी 04 तक, तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र – रेवती रात्रि 11:16 तक, तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग – साध्य रात्रि 03:03 फरवरी 04 तक, तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल – प्रातः 08:30 से प्रातः 09:50 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:07*
*⛅सूर्यास्त – 05:54*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:36 से 06:27 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:31 से दोपहर 01:16 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 फरवरी 04 से रात्रि 01:19 फरवरी 04 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – सरस्वती पूजन दिवस स्कन्द षष्ठी*
*⛅विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह मे डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹यज्ञ के समय ध्यान रखने योग्य बातें🔹*
*🔸यज्ञ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :*
*१] याजक को यज्ञ करते समय सिले हुए चुस्त कपड़े नहीं पहनने चाहिए, खुले कपड़े पहनने चाहिए ताकि यज्ञ का जो वातावरण या सात्त्विक धुआँ है वह रोमकूपों पर सीधा असर करे ।*
*२] अग्नि की ज्वाला सीधी आकाश की तरफ जाती है अत: यज्ञमंडप के ऊपर छप्पर होना चाहिए ताकि यज्ञ की सामग्री का जो प्रभाव है वह सीधा ऊपर न जाय, आसपास में फैले ।*
*३] यज्ञ में जो वस्तुएँ डाली जाती हैं उनके लाभकारी रासायनिक प्रभाव को उत्पन्न करने में जो लकड़ी मदद करती है वैसी ही लकड़ी होनी चाहिए । इसलिए कहा गया है : ‘अमुक यज्ञ में पीपल की लकड़ी हो…. अमुक यज्ञ में आम की लकड़ी हो….’ ताकि लकड़ियों का एवं यज्ञ की वस्तुओं का रासायनिक प्रभाव वातावरण पर पड़े ।*
