ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 23 मई 2024*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
🌤️ *अमांत – 10 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 2 वैशाख मास*
🌤️ *मास – वैशाख*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – पूर्णिमा शाम 07:22 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र – विशाखा सुबह 09:15 तक तत्पश्चात अनुराधा*
🌤️ *योग – परिघ दोपहर 12:12 तक तत्पश्चात शिव*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:56 से शाम 03:39 तक*
🌞 *सूर्योदय- 05:20*
🌤️ *सूर्यास्त- 19:09*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – व्रत पूर्णिमा,वैशाखी पूर्णिमा,बुध पूर्णिमा,वैशाख स्नान समाप्त,श्री कुर्म जयंती*
💥 *विशेष – पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *वैशाख पूर्णिमा* 🌷
*हिन्दू धर्म में वैशाख महिने की पूर्णिमा तिथि भी भगवान विष्णु व शक्ति स्वरूपा देवी लक्ष्मी की उपासना के लिए बहुत शुभ बताई गई है। माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि, धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माना गया है।*
🙏🏻 *वैशाख पूर्णिमा यानी 23 मई, गुरुवार को देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नीचे बताएँ उपाय करना भी शुभ व सुख-ऐश्वर्य देने वाला माना गया है-*
🙏🏻 *- सुबह के साथ ही खासकर शाम के वक्त भी स्नान कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा की सामान्य पूजा कर इस मंत्र का जप आर्थिक परेशानियों को दूर करने वाला होगा।*
🌹 *- माता लक्ष्मी को लाल चन्दन, लाल अक्षत, लाल वस्त्र, लाल फूल, मौसमी फल, मिठाई अर्पित करें।*
🍚 *- माता को दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। बाद में देवी लक्ष्मी को इस वैदिक मंत्र स्तुति के उपाय का यथाशक्ति जप करें-*
🌷 *ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥*
🔥 *- पूजा और मंत्र जप के बाद घी के दीप से माता लक्ष्मी की आरती करें।*
🔥 *- आरती के बाद धन प्राप्ति और सुखी जीवन की कामना करते हुए पूजा-आरती में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *कभी स्नान ना कर सकें तो* 🌷
🌿 *तुलसी के पौधे की मिटटी इतनी पवित्र है कि कोई आदमी घर में बहुत बीमार हो नहा नही सकता हो तो आप उसको तुलसी की मिटटी का तिलक कर दो वो आदमी नहाया हुआ जैसा पवित्र माना जायेगा | (मेरे से एक मिलिट्री में काम करने वाले भाई ने पूछा था कि हम ऐसी जगहों पर रहते हैं जहाँ बर्फ ही बर्फ होती है पानी तो होता नहीं नहाये कैसे, इतनी ठण्ड होती है माईनस में होता है टेम्परेचर क्या करें ? नियम कैसे करें ? मैंने कहा तुलसी की मिटटी ले जाओ जितने दिन रहना पड़े उसका तिलक कर लो नहाये हुए के सामान माने जाओगे पवित्र तुलसी की मिटटी इतनी शुद्ध है | ) इसका मतलब ये नही है कि और भी कोई सोचे की वाह बढ़िया आईडिया है कभी नहाना नही और तुलसी की मिटटी का तिलक कर दो हो गया पवित्र हो गये हम तो |*