
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 05 दिसम्बर 2025
⛅दिन – शुक्रवार
⛅विक्रम संवत् – 2082
⛅अयन – दक्षिणायण
⛅ऋतु – हेमंत
⛅ अमांत – 20 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि
⛅ राष्ट्रीय तिथि – 14 मार्गशीर्ष मास
⛅मास – पौष
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – प्रतिपदा रात्रि 12:55 दिसम्बर 06 तक तत्पश्चात् द्वितीया
⛅नक्षत्र – रोहिणी सुबह 11:46 तक तत्पश्चात् मृगशिरा
⛅योग – सिद्ध सुबह 08:08 तक तत्पश्चात् साध्य रात्रि 03:49 दिसम्बर 06 तक, तत्पश्चात् शुभ
⛅राहुकाल – सुबह 10:51 से दोपहर 12:07 तक ( हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅सूर्योदय – 06:57
⛅सूर्यास्त – 05:17 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 05:08 से प्रातः 06:01 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11:56 से दोपहर 12:39 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:51 से रात्रि 12:44 दिसम्बर 06 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
🌥️व्रत पर्व विवरण – रोहिणी व्रत
🌥️विशेष – प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा या पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
*ल🔹आरती में कपूर का उपयोग क्यों ?🔹
🔸सनातन संस्कृति में पुरातन काल से आरती में कपूर जलाने की परम्परा है । आरती के बाद आरती के ऊपर हाथ घुमाकर अपनी आँखों पर लगाते हैं, जिससे दृष्टी -इन्द्रिय सक्रिय हो जाती है । पूज्य बापूजी के सत्संग -वचनामृत में आता है : “आरती करते हैं तो कपूर जलाते हैं । कपूर वातावरण को शुद्ध करता है, पवित्र वातावरण की आभा पैदा करता है । घर में देव-दोष है, पितृ -दोष हैं, वास्तु -दोष हैं, भूत -पिशाच का दोष है या किसीको बुरे सपने आते हैं तो कपूर की ऊर्जा उन दोषों को नष्ट कर देती है ।
🔸बोलते हैं कि संध्या होती है तो दैत्य-राक्षस हमला करते हैं इसलिए शंख , घंट बजाना चाहिए, कपूर जलाना चाहिए, आरती-पूजा करनी चाहिए अर्थात संध्या के समय और सुबह के समय वातावरण में विशिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं जो श्वासोच्छवास के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारी जीवनरक्षक जीवनरक्षक कोशिकाओं से लड़ते हैं । तो देव-असुर संग्राम होता है, देव माने सात्त्विक कण और असुर माने तामसी कण । कपूर की सुगंधि से हानिकारक जीवाणु एवं विषाण रूपी राक्षस भाग जाते हैं ।
🔸वातावरण में जो अशुद्ध आभा है इससे तामसी अथवा निगुरे लोग जरा-जरा बात में खिन्न होते हैं, पीड़ित होते हैं लेकिन कपूर और आरती का उपयोग करनेवालों के घरों में ऐसे कीटाणुओं का, ऐसो हलकी आभा का प्रभाव नहीं टिक सकता है ।
🔸अत: घर में कभी-कभी कपूर जलाना चाहिए, गूगल का धूप करना चाहिए । कभी-कभी कपूर की १ – २ छोटी-छोटी गोली मसल के घर में छिटक देनी चाहिए । उसकी हवा से ऋणायान बनते हैं, जो हितकारी हैं । वर्तमान के माहौल में घर में दीया जलाना अथवा कपूर की कभी-कभी आरती कर लेना अच्छा है ।
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