
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 03 दिसम्बर 2025
⛅दिन – बुधवार
⛅विक्रम संवत् – 2082
⛅अयन – दक्षिणायण
⛅ऋतु – हेमंत
⛅ अमांत – 18 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि
⛅ राष्ट्रीय तिथि – 12 मार्गशीर्ष मास
⛅मास – मार्गशीर्ष
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – त्रयोदशी दोपहर 12:25 तक तत्पश्चात् चतुर्दशी
⛅नक्षत्र – भरणी शाम 05:59 तक तत्पश्चात् कृत्तिका
⛅योग – परिघ शाम 04:57 तक तत्पश्चात् शिव
⛅राहुकाल – दोपहर 12:07 से दोपहर 01:23 तक ( उज्जैन मानक समयानुसार)
⛅सूर्योदय – 06:57
⛅सूर्यास्त – 05:17 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 05:07 से प्रातः 06:00 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:51 से रात्रि 12:43 दिसम्बर 04 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
🌥️व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थसिद्धि योग (शाम 05:59 से प्रातः 06:53 दिसम्बर 04 तक)
🌥️विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है एवं चतुर्दशी को स्त्री – सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
🔹अमृत – औषधि दालचीनी🔹
🔸दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है । यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।
🔸यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है । बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है । संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।
🔹दालचीनी के कुछ प्रयोग🔹
🔸१] पेट के रोग व सर्दी – खाँसी : १ ग्राम ( एक चने जितनी मात्रा ) दालचीनी चूर्ण में १ चम्मच शहद मिलाकर दिन में १ – २ बार चाटने से मंदाग्नि, अजीर्ण, पेट की वायु, संग्रहणी रोग, अफरा और सर्दी – खाँसी में लाभ होता है ।
🔸२] ह्रदयरोग : एक ग्राम दालचीनी चूर्ण २०० मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । १०० मि.ली. पानी शेष रहने पर उसे छानकर पी लें । इसे रोज सुबह लेने से कोलेस्ट्राँल की अतिरिक्त मात्रा घटती हैं । गर्म प्रकृतिवाले लोग एवं ग्रीष्म ऋतू में इसके पानी में दूध मिलाकर उपयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से रक्त की शुद्धि होती है एवं ह्रदय को बल मिलता है ।
🔸३] स्वरभंग, खाँसी व मुँह की बदबू : दालचीनी का छोटा-सा टुकड़ा चूसने से स्वरभंग ( गला बैठना ) की विकृति नष्ट होती है व आवास खुलती है । इससे खाँसी का प्रकोप शांत होता है, मुँह की बदबू दूर होती है, मसूड़े मजबूत बनते हैं और तोतलेपन में भी लाभ होता है ।
🔹सावधानियाँ : गर्भवती महिलाओं के लिए दालचीनी लेना निषिद्ध है । इसकी अधिक मात्रा लेने से पित्त ( उष्ण ) प्रकृतिवालों को सिरदर्द होता है । अत्यधिक मात्रा में, रात को या दीर्घकाल तक इसका सेवन करना हानिकारक है ।
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