
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌤️ *दिनांक – 30 अक्टूबर 2025*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2082*
🌤️ *शक संवत – 1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – हेमंत ऋतु*
⛅ *अमांत – 14 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
⛅ *राष्ट्रीय तिथि – 8 कार्तिक मास*
🌤️ *मास – कार्तिक*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – अष्टमी सुबह 10:06 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र – श्रवण शाम 06:33 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
🌤️ *योग – शूल सुबह 07:21 तक तत्पश्चात गण्ड*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:22 से शाम 02:44 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 06:32*
🌤️ *सूर्यास्त – 05:29*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – गोपाष्टमी, अक्षय नवमी, कूष्माण्ड नवमी*
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है (ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्म खण्ड: 27,29,34)*
🕉️~*वैदिक पंचांग* ~🕉️
🌷 *अक्षय फल देनेवाली अक्षय नवमी* 🌷
🙏🏻 *कार्तिक शुक्ल नवमी (31 अक्टूबर 2025) शुक्रवार को ‘अक्षय नवमी’ तथा ‘आँवला नवमी’ कहते हैं | अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है | इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है | पूजन में कर्पूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए तथा निम्न मंत्र बोलते हुये इस वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है :*
🌷 *यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च |*
*तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ||*
🍏 *इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे पवित्र ब्राम्हणों व सच्चे साधक-भक्तों को भोजन कराके फिर स्वयं भी करना चाहिए | घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगा के अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष के नीचे पूजन कर सकते है | कई आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगे हुये हैं | इस पुण्यस्थलों में जाकर भी आप भजन-पूजन का मंगलकारी लाभ ले सकते हैं |*
🕉️ ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🕉️
🌷 *आँवला (अक्षय) नवमी* 🌷
➡ *31 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को आँवला (अक्षय) नवमी है ।*
🙏🏻 *नारद पुराण के अनुसार*
🌷 *कार्तिके शुक्लनवमी याऽक्षया सा प्रकीर्तता । तस्यामश्वत्थमूले वै तर्प्पणं सम्यगाचरेत् ।।* ११८-२३ ।।*
*देवानां च ऋषीणां च पितॄणां चापि नारद । स्वशाखोक्तैस्तथा मंत्रैः सूर्यायार्घ्यं ततोऽर्पयेत् ।। ११८-२४ ।।*
*ततो द्विजान्भोजयित्वा मिष्टान्नेन मुनीश्वर । स्वयं भुक्त्वा च विहरेद्द्विजेभ्यो दत्तदक्षिणः ।। ११८-२५ ।।*
*एवं यः कुरुते भक्त्या जपदानं द्विजार्चनम् । होमं च सर्वमक्षय्यं भवेदिति विधेर्वयः ।। ११८-२६ ।।*
🍏 *कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं। उस दिन पीपलवृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य दे। तत्पश्च्यात ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करे। इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और होम करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है, ऐसा ब्रह्माजी का कथन है।*
👉🏻 *कार्तिक शुक्ल नवमी को दिया हुआ दान अक्षय होता है अतः इसको अक्षयनवमी कहते हैं।*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण, नारदपुराण आदि सभी पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी युगादि तिथि है। इसमें किया हुआ दान और होम अक्षय जानना चाहिये । प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है “एतश्चतस्रस्तिथयो युगाद्या दत्तं हुतं चाक्षयमासु विद्यात् । युगे युगे वर्षशतेन दानं युगादिकाले दिवसेन तत्फलम्॥”*
🙏🏻 *देवीपुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमीको व्रत, पूजा, तर्पण और अन्नादिका दान करनेसे अनन्त फल होता है।*
🍏 *कार्तिक शुक्ल नवमी को ‘धात्री नवमी’ (आँवला नवमी) और ‘कूष्माण्ड नवमी’ (पेठा नवमी अथवा सीताफल नवमी) भी कहते है। स्कन्दपुराण के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला पूजन से स्त्री जाति के लिए अखंड सौभाग्य और पेठा पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती है।*
🍏 *आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है। अक्षय नवमी के दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है। जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है। चरक संहिता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवानी यानी नवयौवन प्राप्त हुआ था।*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
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