

ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 04 सितम्बर 2025*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – दक्षिणायण*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌦️ अमांत – 19 गते भाद्रपद मास प्रविष्टि*
*🌦️ राष्ट्रीय तिथि – 13 भाद्रपद मास*
*⛅मास – भाद्रपद*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – द्वादशी प्रातः 04:08 सितम्बर 05 तक तत्पश्चात् त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र – उत्तराषाढा रात्रि 11:44 तक तत्पश्चात् श्रावण*
*⛅योग – सौभाग्य दोपहर 03:22 तक तत्पश्चात् शोभन*
*⛅राहुकाल – दोपहर 01:50 से दोपहर 03:24 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:55*
*⛅सूर्यास्त – 06:36*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:51 से प्रातः 05:37 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:13 से दोपहर 01:03*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 सितम्बर 05 से रात्रि 01:02 सितम्बर 05 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण – वामन जयंती, भुवनेश्वरी जयंती, कल्की द्वादशी*
*⛅️विशेष – द्वादशी को पुतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹कब्ज से राहत देनेवाली अनमोल कुंजियाँ🔹*
*🔸प्रात: पेट साफ नहीं होता हो तो गुनगुना पानी पी के खड़े हो जायें और ठुड्डी को गले के बीचवाले खड्डे में दबायें व हाथ ऊपर करके शरीर को खींचे । पंजों के बल कूदें । फिर सीधे लेट जायें, श्वास बाहर छोड़ दें व रोके रखें और गुदाद्वार को ३० – ३२ बार अंदर खींचे, ढीला छोड़े, फिर श्वास लें । इसको स्थलबस्ती बोलते हैं । ऐसा तीन बार करोगे तो लगभग सौ बार गुदा का संकुचन-प्रसरण हो जायेगा । इससे अपने-आप पेट साफ होगा । और कब्ज के कारण होनेवाली असंख्य बीमारियों में से कोई भी बीमारी छुपी होगी तो वह बाहर हो जायेगी ।*
*🔸सैकड़ों पाचन-संबंधी रोगों को मिटाना हो तो सुबह ५ से ७ बजे के बीच सूर्योदय से पहले-पहले पेट साफ हो जाय… नहीं तो सूर्य की पहली किरणें शरीर पर लगें; सूर्यस्नान करने से भी पेट साफ होने में मदद मिलती है ।*
*🔸कई लोग जैसे कुर्सी पर बैठा जाता है, ऐसे ही कमोड ( पाश्च्यात्य पद्धति का शौचालय ) पर बैठकर पेट साफ करते हैं । उनका पेट साफ नहीं होता, इससे नुक्सान होता है । शौचालय सादा अर्थात जमीन पर पायदानवाला होना चाहिए । शौच के समय आँतों पर दबाव पड़ना चाहिए, तभी पेट अच्छी तरह से साफ होगा । पहले शरीर का वजन बायें पैर पर पड़े फिर दायें पैर पर पड़े । इस प्रकार दोनों पैरों पर दबाव पड़ने से उसका छोटी व बड़ी – दोनों आँतों पर प्रभाव होता है, जिससे पेट साफ होने में मदद मिलती है । तो पैरों पर वजन हो इसी ढंग से शौचालय में बैठे । दायाँ स्वर चलते समय मल-त्याग करने से एवं बायाँ स्वर चलते समय मूत्र-त्याग करने से स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है ।*
🙏🌹🌺💐🍀🕉️🪷🌷🌳🌼🌹🙏