
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 25 जुलाई 2025*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – दक्षिणायण*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*⛈️ अमांत – 10 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
*⛈️ राष्ट्रीय तिथि – 3 श्रावण मास*
*⛅मास – श्रावण*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – प्रतिपदा रात्रि 11:22 तक तत्पश्चात् द्वितीया*
*⛅नक्षत्र – पुष्य शाम 04:00 तक तत्पश्चात् अश्लेशा*
*⛅योग – वज्र सुबह 07:28 तक तत्पश्चात् सिद्धि प्रातः 05:28 जुलाई 26 तक, तत्पश्चात् व्यतीपात*
*⛅राहुकाल – सुबह 10:41 से दोपहर 12:23 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:31*
*⛅सूर्यास्त – 07:16*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:42 से प्रातः 05:25 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:20 से दोपहर 01:13 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 जुलाई 26 से रात्रि 01:08 जुलाई 26 तक*
*⛅विशेष – प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹लसोड़ा ( गोंदी ) सेवन से स्वास्थ्य लाभ 🔹*
*👉 लसोड़ा को हिन्दी में गोंदी, गोंदे और निसोरा भी कहते हैं । यह मधुर, कसैला, शीतल, कृमिनाशक, विषनाशक, बालों के लिए हितकारी, अग्निवर्द्धक, वातशामक, पाचक, कफ निकालनेवाला, अतिसार व जलन दूर करनेवाला, दर्द और सब प्रकार के विष को नष्ट करनेवाला होता है ।*
*👉 इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं । यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत देता है । कच्चे लसोड़े का साग और अचार भी बनाया जाता है ।*
*🔹लसोड़े के औषधीय उपचार 🔹*
*🔸अतिसार : लसोड़े की छाल को पानी में घिसकर पिलाने से अतिसार ठीक होता है ।*
*🔸हैजा (कालरा) : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है ।*
*🔸दांतों का दर्द : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है ।*
*🔸शक्तिवर्द्धक : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को चीनी की चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें । इसको खाने से शरीर मोटा होता है और कमर मजबूत जाती है ।*
*🔹शोथ (सूजन) : लसौड़े की छाल को पीसकर उसका लेप आंखों पर लगाने से आंखों के शीतला के दर्द में आराम मिलता है ।*
*🔹पुनरावर्तक ज्वर : लसोड़ा की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर को सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है ।*
*🔹प्रदर रोग : लसोड़ा के कोमल पत्तों को पीसकर रस निकालकर पीने से प्रदर रोग और प्रमेह दोनों मिट जाते हैं ।*
*🔹दाद : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है ।*
*🔹फोड़े-फुंसियां : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं ।*
*🔹गले के रोग : लसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं ।*
*🔹 नोट: इसका स्वभाव शीतल होता है । लसोड़ा का अधिक मात्रा में उपयोग मेदा (आमाशय) और जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है ।*
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