
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 24 जुलाई 2025*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ॠतु*
⛈️ *अमांत – 9 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
⛈️ *राष्ट्रीय तिथि – 2श्रावण मास*
🌤️ *मास – श्रावण (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – अमावस्या रात्रि 12:40 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र – पुनर्वसु शाम 04:43 तक तत्पश्चात पुष्य*
🌤️ *योग – हर्षण सुबह 09:51 तक तत्पश्चात वज्र*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 02:05 से शाम 03:47 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 05:31*
🌤️ *सूर्यास्त – 07:16*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – दर्श अमावस्या,श्रावण अमावस्या,हरियाली अमावस्या,गुरुपुष्यामृत योग (शाम 04:43 से 25 जुलाई सूर्योदय तक)*
💥 *विशेष – अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥 *चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)*
💥 *चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए* 🌷
➡ *24 जुलाई 2025 गुरुवार को अमावस्या है ।*
🏡 *घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *अमावस्या* 🌷
🙏🏻 *अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *समृद्धि बढ़ाने के लिए* 🌷
🌙 *कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी ।*
🙏🏻 *दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें,जो भी समस्या है हल हो जायेगी ।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *गुरुपुष्यामृत योग* 🌷
➡️ *24 जुलाई 2025 गुरुवार को शाम 04:43 से 25 जुलाई सूर्योदय तक गुरुपुष्यामृत योग है।*
🙏🏻 *‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |*
🙏🏻 *इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
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