
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 11 जुलाई 2025*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*⛈️ अमांत – 27 गते आषाढ़ मास प्रविष्टि*
*⛈️ राष्ट्रीय तिथि – 20आषाढ़ मास*
*⛅मास – श्रावण*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – प्रतिपदा रात्रि 02:08 जुलाई 12 तक तत्पश्चात् द्वितीया*
*⛅नक्षत्र – उत्तराषाढा पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग – वैधृति रात्रि 08:45 तक तत्पश्चात् विष्कम्भ*
*⛅राहुकाल – सुबह 10:39 से दोपहर 12:22 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:24*
*⛅सूर्यास्त – 07:21*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:37 से प्रातः 05:19 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 जुलाई 12 से रात्रि 01:06 जुलाई 12 तक*
*⛅विशेष – प्रतिपदा को कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🌹चतुर्मास महात्म्य🌹*
*🌹’स्कन्द पुराण’ के ब्रह्मखण्ड के अन्तर्गत ‘चतुर्मास महात्म्य’ में आता है :*
*🌹सूर्य के कर्क राशि पर स्थित रहते हुए आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक, वर्षाकालीन इन चार महिनों में भगवान विष्णु शेषशय्या पर शयन करते हैं । श्री हरि की आराधना के लिए यह पवित्र समय है । सब तीर्थ, देवस्थान, दान और पुण्य चतुर्मास आने पर भगवान विष्णु की शरण ले के स्थित होते हैं । जो मनुष्य चतुर्मास में नदी में स्नान करता है, वह सिद्धि को प्राप्त होता है । तीर्थ में स्नान करने पर पापों का नाश होता है ।*
*🌹चातुर्मास में निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए -*
*🌹१) जल में तिल और आँवले का मिश्रण अथवा बिल्वपत्र डालकर स्नान करने से अपने में दोष का लेशमात्र नहीं रह जाता ।*
*🌹२) जल में बिल्वपत्र डालकर ‘ॐ नम: शिवाय’ का ४-५ बार जप करके स्नान करने से विशेष लाभ होता है तथा वायुप्रकोप दूर होता है और स्वास्थ्य की रक्षा होती है ।*
*🌹३) चतुर्मास में भगवान नारायण जल में शयन करते हैं, अत: जल में भगवान विष्णु का अंश व्याप्त रहता है । इसलिए उस तेज से युक्त जल का स्नान समस्त तीर्थों से भी अधिक फल देता है ।*
*🌹४) ग्रहण के सिवाय के दिनों में सन्ध्याकाल में और रात को स्नान न करें । गर्म जल से भी स्नान नहीं करना चाहिए ।*
*🌹५) चतुर्मास सब गुणों से युक्त उत्कृष्ट समय है । उसमें श्रद्धा पूर्वक धर्म का अनुष्ठान करना चाहिए ।*
*🌹६) अगर मनुष्य चतुर्मास में भक्तिपूर्वक योग के अभ्यास मे तत्पर न हुआ तो नि:सन्देह उसके हाथ से कलश का अमृत गिर गया ।*
*🌹७) बुद्धिमान मनुष्य को सदैव मन को संयम में रखकर आत्मज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए ।*
*🌹८)चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे पुरुष सूक्त का पाठ करने वाले की बुद्धि का विकास होता है और सुबह या जब समय मिले भूमध्य में ओंकार का ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है ।*
*🌹९) चतुर्मास में जीवों पर दया तथा अन्न-जल व गौओं का दान, रोज वेदपाठ और हवन ये सब महान फल देनेवाले हैं । अन्न शत्रुओं को देना भी मना नहीं है और किसी भी समय दिया जा सकता है ।*
*🌹१०) चतुर्मास में धर्म का पालन, सत्पुरुषों की सेवा, संतों का दर्शन, सत्संग-श्रवण भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए ।*
*🌹११) जो भगवान कि प्रीति के लिए श्रद्धा पूर्वक प्रिय वस्तु और भोग का त्याग करता है, वह अनन्त फल पाता है ।*
*🌹१२) चतुर्मास में धातु के पात्रों का त्याग करके पलाश के पत्तों पर भोजन करने से ब्रह्मभाव प्राप्त होता है । तांबे के पात्र भी त्याज्य है ।*
*🌹१३) चतुर्मास में काला और नीला वस्त्र पहनना हानिकर है । इन दिनों में हजामत (केश संवारना) करना त्याग दें तो तीनों तापों से रहित हो जाता है ।*
*🌹१४) इन चार महिनों में भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन (उत्तम व्रत-अनन्त फलदायी), पत्तल में भोजन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, दान-पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं ।*
*🌹१५) चतुर्मास में परनिन्दा करना और सुनना दोनो का त्याग करें । परनिन्दा महापापं ।*
*🌹१६) चतुर्मास में नित्य परिमित भोजन से पातकों का नाश और एक बार अन्न का भोजन करने वाला रोगी नहीं होता और एक समय भोजन करने से द्वादश यज्ञ फल मिलता है ।*
*🌹१७) चतुर्मास में केवल दूध अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्त्र पाप नष्ट होते हैं और केवल जल पीकर रहता है, उसे रोज अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है ।*
*🌹१८) १५ दिनों में एक दिन उपवास शरीर के सम्पूर्ण दोष जला देता है और १४ दिनों के भोजन को ओज में बदल देता है । इसलिए एकादशी के उपवास की महिमा है ।*
*🌹१९) वैसे तो गृहस्थ को शुक्ल पक्ष की एकादशी रखनी चहिए किन्तु चतुर्मास की तो दोनों पक्षों की एकादशी रखनी चाहिए ।*
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