

ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 08 जुलाई 2025*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*☁️ अमांत – 24 गते आषाढ़ मास प्रविष्टि*
*☁️ राष्ट्रीय तिथि – 16 आषाढ़ मास*
*⛅मास – आषाढ़*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – त्रयोदशी रात्रि 12:38 जुलाई 09 तक तत्पश्चात् चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र – ज्येष्ठा रात्रि 03:15 जुलाई 09 तक तत्पश्चात् मूल*
*⛅योग – शुक्ल रात्रि 10:17 तक तत्पश्चात् ब्रह्म*
*⛅राहुकाल – शाम 03:49 से शाम 05:33 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:22*
*⛅सूर्यास्त – 07:22*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:36 से प्रातः 05:18 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 जुलाई 09 से रात्रि 01:06 जुलाई 09 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – जयापार्वती व्रत प्रारम्भ, भौम प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹प्रायश्चित जप🔹*
*🔸पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं |*
*🔸कोई पाप हो गया, कुछ गल्तियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गल्ती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है |*
*ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत |*
*ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव: ||*
*समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत |*
*अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी ||*
*सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत् |*
*दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व: || (ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ – ३ )*
*🔸इन वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करें तो किया हुआ पाप माफ हो जाता है, उसके बदले में दूसरी नीच योनियाँ नहीं मिलतीं | इस प्रकार की विधि है |*
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