
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 09 जून 2025*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️ अमांत – 27 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 17 ज्येष्ठ मास*
*⛅मास – ज्येष्ठ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – त्रयोदशी सुबह 09:35 तक तत्पश्चात् चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र – विशाखा दोपहर 03:31 तक तत्पश्चात् अनुराधा*
*⛅योग – शिव दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात् सिद्ध*
*⛅राहुकाल – सुबह 07:04 से सुबह 09: 48तक*
*⛅सूर्योदय – 05:16*
*⛅सूर्यास्त – 07:17*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:30 से प्रातः 05:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:12 दोपहर 01:06*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:18 जून 10 से रात्रि 01:00 जून 10 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थसिद्धि योग (दोपहर 03:31 से प्रातः 05:54 जून 10 तक)*
*⛅विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री – सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹युवाधन सुरक्षा (वीर्यरक्षा के उपाय)🔹*
*🔸1. सादा रहन-सहन बनायें – लाल रंग के भड़कीले एवं रेशमी कपड़े नहीं पहनो । तेल-फुलेल और भाँति-भाँति के इत्रों का प्रयोग करने से बचो । जीवन में जितनी तड़क-भड़क बढ़ेगी, इन्द्रियाँ उतनी चंचल हो उठेंगी, फिर वीर्यरक्षा तो दूर की बात है ।*
*🔸2. उपयुक्त आहार – आप स्वादलोलुप नहीं बनो । जिह्वा को नियंत्रण में रखो । क्या खायें, कब खायें, कैसे खायें और कितना खायें इसका विवेक नहीं रखा तो पेट खराब होगा, शरीर को रोग घेर लेंगे, वीर्यनाश को प्रोत्साहन मिलेगा और अपने को पतन के रास्ते जाने से नहीं रोक सकोगे ।*
*🔸3. शिश्नेन्द्रिय स्नान – शौच के समय एवं लघुशंका के समय साथ में गिलास अथवा लोटे में ठंड़ा जल लेकर जाओ और उससे शिश्नेन्द्रिय को धोया करो । कभी-कभी उस पर ठंड़े पानी की धार किया करो । इससे कामवृत्ति का शमन होता है और स्वप्नदोष नहीं होता ।*
*🔸4. उचित आसन एवं व्यायाम करो – जिसका शरीर स्वस्थ नहीं रहता, उसका मन अधिक विकारग्रस्त होता है । इसलिये रोज प्रातः व्यायाम एवं आसन करने का नियम बना लो । रोज प्रातः काल 3-4 मिनट दौड़ने और तेजी से टहलने से भी शरीर को अच्छा व्यायाम मिल जाता है । सूर्यनमस्कार 13 अथवा उससे अधिक किया करो तो उत्तम है । इसमें आसन व व्यायाम दोनों का समावेश होता है ।*
*🔸5. ब्रह्ममुहूर्त में उठो – स्वप्नदोष अधिकांशतः रात्रि के अंतिम प्रहर में हुआ करता है । इसलिये प्रातः चार-साढ़े चार बजे यानी ब्रह्ममुहूर्त में ही शैया का त्याग कर दो । जो लोग प्रातः काल देरी तक सोते रहते हैं, उनका जीवन निस्तेज हो जाता है ।*
*🔸6.दुर्व्यसनों से दूर रहो – शराब एवं बीड़ी-सिगरेट-तम्बाकू का सेवन मनुष्य की कामवासना को उद्यीप्त करता है । नशीली वस्तुओं के सेवन से फेफड़े और हृदय कमजोर हो जाते हैं, सहनशक्ति घट जाती है और आयुष्य भी कम हो जाता है ।अमरीकी डॉक्टरों ने खोज करके बतलाया है कि नशीली वस्तुओं के सेवन से कामभाव उत्तेजित होने पर वीर्य पतला और कमजोर पड़ जाता है ।*
*🔸7.सत्संग करो – आप सत्संग नहीं करोगे तो कुसंग अवश्य होगा । इसलिये मन, वचन, कर्म से सदैव सत्संग का ही सेवन करो ।*
*🔸8. शुभ संकल्प करो – दृढ़ संकल्प करने से वीर्यरक्षण में मदद होती है और वीर्यरक्षण से संकल्पबल बढ़ता है । विश्वासो फलदायकः । जैसा विश्वास और जैसी श्रद्धा होगी वैसा ही फल प्राप्त होगा । ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों में यह संकल्पबल असीम होता है । वस्तुतः ब्रह्मचर्य की तो वे जीती-जागती मुर्ति ही होते हैं ।*
*🔸9. त्रिबन्धयुक्त प्राणायाम और योगाभ्यास करो – त्रिबन्ध करके प्राणायाम करने से विकारी जीवन सहज भाव से निर्विकारिता में प्रवेश करने लगता है । मूलबन्ध से विकारों पर विजय पाने का सामर्थ्य आता है । उड्डियानबन्ध से आदमी उन्नति में विलक्षण उड़ान ले सकता है । जालन्धरबन्ध से बुद्धि विकसित होती है ।*
*🔸10. स्त्री-जाति के प्रति मातृभाव प्रबल करो श्री रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे : “ किसी सुंदर स्त्री पर नजर पड़ जाए तो उसमें माँ जगदम्बा के दर्शन करो । ऐसा विचार करो कि यह अवश्य देवी का अवतार है, तभी तो इसमें इतना सौंदर्य है | माँ प्रसन्न होकर इस रूप में दर्शन दे रही है, ऐसा समझकर सामने खड़ी स्त्री को मन-ही-मन प्रणाम करो । इससे तुम्हारे भीतर काम विकार नहीं उठ सकेगा ।*
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