
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 01 जून 2025*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️ अमांत – 19 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
*🌤️ राष्ट्रीय तिथि – 11 ज्येष्ठ मास*
*⛅मास – ज्येष्ठ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – षष्ठी रात्रि 07:59 तक तत्पश्चात् सप्तमी*
*⛅नक्षत्र – अश्लेषा रात्रि 09:36 तक तत्पश्चात् मघा*
*⛅योग – ध्रुव रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात् व्याघात*
*⛅राहुकाल – शाम 05:25 से शाम 07:09 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:18*
*⛅सूर्यास्त – 07:12*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:29 से प्रातः 05:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:11 से दोपहर 01:05*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 जून 02 से रात्रि 12:59 जून 02 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – स्कन्द षष्ठी*
*⛅विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातून मुंह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹अहंकार, चिंता और व्यर्थ का चिंतन मिटाने का मंत्र*
*🔹अहंकार, चिंता और व्यर्थ का चिंतन साधक की शक्ति को निगल जाते हैं | इनको मिटाने के लिए एक सुंदर मंत्र योगी गोरखनाथजी ने बताया है | इसमें कोई विधि – विधान नहीं है | रात को सोते समय इस मंत्र का जप करो, संख्या का कोई आग्रह नहीं है | इस मंत्र से आपके चित्त की चिंता, तनाव, खिंचाव, दिक्कतें जल्दी शांत हो जायेगी और साधन – भजन में बरकत आयेगी | मंत्र उच्चारण में थोडा कठिन जैसा लगेगा लेकिन याद रह जाने पर आसान हो जायेगा | बाहर के रोग तो बाहर की औषधि से मिट सकते हैं लेकिन भीतर के रोग बाहर की औषधि से नहीं मिटेंगे और इस मंत्र से टिकेंगे नहीं |*
*🔹हमारी जो जीवनधारा है, जीवनीशक्ति है, चित्तशक्ति है उसीको उद्देश्य करके यह मंत्र है ।*
*🔹ॐ चित्तात्मिकां महाचित्तिं चित्तस्वरूपिणीं आराध्यामि चित्तजान रोगान शमय शमय ठं ठं ठं स्वाहा ठं ठं ठं स्वाहा |*
*🔹‘हे चित्तात्मिका, महाचित्ति, चित्तस्वरूपिणी ! मैं तेरी आराधना करता हूँ | जगत – शक्तिदात्री भगवती ! मेरे चित्त के रोगों का तू शमन कर |’*
*🔹‘ठं’ बीजमंत्र है, यह बड़ा प्रभाव करता है | किसीमें लोभ, किसीमें मोह, किसीमें शराब पीने का, किसीमें अहंकार का, किसीमें शेखी बधारने का दोष होता है | चित्त में दोष भरे है इसलिए तो चिंता, भय, क्रोध, अशांति है और जन्म – मरण होता है |*
*🔹इसके जप से आद्यशक्ति चेतना चित्त के दोषों को दूर कर देती है, चित्त को निर्मल कर देती है | सीधे लेट गये, यह जप किया | जब तक निद्रा न आये तब तक इसका प्रयोग करें | निद्रा आने पर अपने – आप ही छूट जायेगा | रात को जप करके सोने से सुबह तुम स्वस्थ, निर्भय, प्रसन्न होकर उठोगे |*
*🔹भगवान के मंत्र हों और भगवान को अपना मानकर प्रीतिपूर्वक जप करें तो चित्त भगवदाकार होकर भगवदरस से पावन हो जाता है | भगवदरस के बिना नीरसता नहीं जाती |*
*🌳🌳पेड़ लगाए अपना कर्तव्य निभाए🌳🌳*
अपने लिए अपने भविष्य के लिए अपने मा बाप देव ऋण मिटाने के लिए एक व्यक्ति दस पेड़ सभी पेड़ अपने आने वाले कल के नाम पर जरूर लगाए
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