ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 06 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*🌥️ अमांत – 21 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 14 मार्गशीर्ष मास*
*⛅मास – मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – पञ्चमी दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र – श्रवण शाम 05:18 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग – ध्रुव दोपहर 10:43 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल – प्रातः 10:52 से दोपहर 12:08 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:59*
*⛅सूर्यास्त – 05:17*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:09 से 12:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:05 दिसम्बर 07 से रात्रि 12:58 दिसम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – विवाह पञ्चमी, सुब्रहमन्य षष्ठी, स्कन्द षष्ठी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:07 से शाम 05 :18 तक)*
*⛅विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पढ़ने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो ….*
*जिन बच्चों का पढ़ाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*१ ग्राम कपूर और मौलसिरी (बकुल) का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें*
*🔹बुखार दूर करने हेतु🔹*
*चरक संहिता के चित्किसा स्थान में ज्वर ( बुखार) की चित्किसा का विस्तृत वर्णन करने के बाद अंत में आचार्य श्री चरकजी ने कहा है :*
*विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम ।*
*स्तुवन्नामह्स्त्रेण ज्वरान सर्वानपोहति ।*
*👉🏻 ‘हजार मस्तकवाले, चर-अचर के स्वामी, व्यापक भगवान की सहस्त्रनाम से स्तुति करने से अर्थात विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से सब प्रकार के ज्वर छूट जाते हैं ।’*
*(पाठ रुग्ण स्वयं अथवा उसके कुटुम्बी करें )*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*
*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*