ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 30 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन – बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*⛅ अमांत – 14 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 7 आश्विन मास*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – त्रयोदशी दोपहर 01:15 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र – हस्त रात्रि 09:43 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग – वैधृति प्रातः 08:52 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल – दोपहर 12:00 से दोपहर 01:22 तक*
*⛅सूर्योदय – 06 :30*
*⛅सूर्यास्त – 06:32*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:02 से 05:53 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 अक्टूबर 30 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 31 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – काली चौदस, नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्र जप से मंत्रसिद्धि), हनुमान पूजा, मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:44 से रात्रि 09:43 तक)*
*⛅विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹स्वास्थ्यबल, मनोबल व रोगप्रतिकारक बल बढ़ाने की कुंजी🔹*
*🔸प्रातःकाल ३ से ५ बजे के बीच प्राणशक्ति (जीवनी शक्ति) फेफड़ों में होती है । यह समय प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति, मनःशक्ति, बुद्धिशक्ति विकसित करने हेतु बेजोड़ है । इस समय प्राणायाम करना बहुत जरूरी है । सुबह ५ बजे के पहले प्राणायाम अवश्य हो जाने चाहिए । इससे कई गुना फायदा होगा । ४ से ५ बजे का समय जागरण, ध्यान, प्राणायाम करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है अतः इसका लाभ लें ।*
*🔸इन्द्रियों का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है । प्राणायाम करने से प्राण तालबद्ध होते हैं । प्राण तालबद्ध होने से मन की दुष्टता और चंचलता नियंत्रित होती है ।*
*🔸प्रातः ४ से ५ के बीच ३ – ४ अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें दायें नथुने से श्वास लिया, बायें से छोड़ा व बायें से लिया, दायें से छोड़ा । फिर आभ्यंतर बहिर्कुम्भक प्राणायाम करें ।*
*🔸विधि : गहरा श्वास लेकर उसे १०० सेकंड तक भीतर रोकें । फिर श्वास धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें और स्वाभाविक २-४ श्वास लें । फिर पूरा श्वास बाहर निकालकर ७०-८० सेकंड तक बाहर ही रोके रखें । बाह्य व आभ्यंतर कुम्भक मिलाकर यह १ प्राणायाम हुआ । ऐसे कम से कम ३-५ प्राणायाम अवश्य करने चाहिए । (नये अभ्यासक इन कुम्भकों में समयावधि धीरे-धीरे बढ़ाते हुए दिये गये समय तक पहुँचे ।*
*बुद्धिशक्ति मेधाशक्तिवर्धक प्राणायाम भी करें। (विधि आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’ (पृष्ठ ३५) में ।