ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 16 अगस्त 2024*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*🌦️ अमांत – 1 गते भाद्र पद मास प्रविष्टि*
*🌦️ राष्ट्रीय तिथि – 26आषाढ़ मास*
*⛅मास – श्रावण*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – एकादशी प्रातः 09:39 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र – मूल दोपहर 12:44 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग – विष्कम्भ दोपहर 01:12 अगस्त 16 तक तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल – प्रातः 10:43 से दोपहर 12:21 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:45*
*⛅सूर्यास्त – 06:57*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:48 से 05:32 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:09*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:22 अगस्त 17 से रात्रि 01:06 अगस्त 17 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल दोपहर 12:31 से सूर्यास्त तक), पुत्रदा पवित्रा एकादशी, वरलक्ष्मी व्रत, दामोदर द्वादशी*
*⛅विशेष – एकादशी को सिम्बी (सेम) व द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकादशी व्रत के लाभ🔹*
*🔸 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*🔸 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*🔸 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*🔸 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*🔸 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*🔸 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*🔸 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है