ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक -27 जुलाई 2024*
🌤️ *दिन – शनिवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ॠतु*
🌧️ *अमांत – 12 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
🌧️ *राष्ट्रीय तिथि – 5 आषाढ मास*
🌤️ *मास – श्रावण (गुजरात महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – सप्तमी रात्रि 09:19 तक तत्पश्चात अष्टमी*
🌤️ *नक्षत्र – रेवती दोपहर 01:00 तक तत्पश्चात अश्विनी*
🌤️ *योग – धृति रात्रि 10:44 तक तत्पश्चात शूल*
🌤️ *राहुकाल – सुबह 09:00 से सुबह 10:42 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 05:34*
🌤️ *सूर्यास्त- 19:14*
👉 *दिशाशूल – पूर्व दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- पंचक (समाप्त : दोपहर 01:00*
💥 *विशेष – *सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)*
💥 *शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)*
💥 *हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*
💥 *चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)*
💥 *चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *शिव विशेष मंत्र* 🌷
👉🏻 *”ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ॐ”*
*”Om Namah Shivay Shubham Shubham Kuru Kuru Shivay Namah Om”*
🙏🏻 *शिवपुराण, रूद्रसंहिता, युद्ध खंड के अनुसार यह शुभ मन्त्र महान पुण्यमय तथा शिव को प्रसन्न करने वाला है | यह भुक्ति – मुक्ति का दाता, सम्पूर्ण कामनाओं का पूरक और शिवभक्तों के लिये आनंदप्रद है | यह स्वर्गकामी पुरुषों के लिये धन, यश और आयु की वृद्धि करनेवाला है | यह निष्काम के लिये मोक्ष तथा साधन करने वाले पुरुषों के लिये भुक्ति – मुक्ति का साधक है | जो मनुष्य पवित्र होकर सदा इस मन्त्र क कीर्तन करता है, सुनता है अथवा दूसरे को सुनाता है, उसकी सारी अभिलाषाएँ पूर्ण हो जाती हैं |*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *चातुर्मास में करने योग्य* 🌷
🙏 *चातुर्मास में ३ बिल्व पत्र डाल कर “ॐ नमः शिवाय” ५ बार जप करके और “ब्रह्म ही जल रूप बन कर आया है” ऐसी भावना करके नहाना चाहिये । आंवला, जौ और तिल का पेस्ट बनाकर शरीर पर रगड़कर अथवा तो ये तीनो का पाऊडर पानी में डालकर नहाना चाहिये । स्नान में कभी गर्म पानी का प्रयोग ना करें, वायु की तकलीफ वाले ना ज्यादा गर्म ना ज्यादा ठंडा पानी प्रयोग करें। सिर पर तो कभी भी गर्म पानी नहीं डालना चाहिये । ऐसा करने पर सभी तीर्थ स्नान करने का पुण्य मिलता है ।*
🙏
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *गर्भ की रक्षा* 🌷
👉 *चांदी की कटोरी में दही जमाकर खाने से गर्भपात नहीं होता ।*
🙏 *
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *बार बार बुखार आना* 🌷
👉 *बार-बार बुखार आता हो तो भोजन से पहले २-३ ग्राम अदरक और थोड़ा नींबू खाएं फिर भोजन करें ।