ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 04 जून 2023*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅शक संवत् – 1945*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️ अमांत – 20 गते जयेष्ठ मास प्रविष्टि*
*🌤️ राष्ट्रीय तिथि – 14 ज्येष्ठ मास*
*⛅मास – ज्येष्ठ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – पूर्णिमा सुबह 09:11 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र – अनुराधा प्रातः 05:03 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*⛅योग – सिद्ध सुबह 11:59 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल – शाम 05:26 से 07:10 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:16*
*⛅सूर्यास्त – 07:15*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:29 से 05:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:17 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – ज्येष्ठ पूर्णिमा, देवस्नान पूर्णिमा, संत कबीरजी जयंती*
*⛅विशेष – पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹व्यापार में वृद्धि हेतु🔹*
*🔸रविवार को गंगाजल लेकर उसमें निहारते हुए २१ बार गुरुमंत्र जपें, गुरुमंत्र नहीं लिया हो तो गायत्री मंत्र जपें । फिर इस जल को व्यापार-स्थल पर जमीन एवं सभी दीवारों पर छिड़क दें । ऐसा लगातार ७ रविवार करें, व्यापार में वृद्धि होगी ।*
*🔹मंत्र से आरोग्यता🔹*
*🔸शब्दों की ध्वनि का अलग-अलग अंगों पर एवं वातावरण पर असर होता है । कई शब्दों का उच्चारण कुदरती रूप से होता है । आलस्य के समय कुदरती आ… आ… होता है । रोग की पीड़ा के समय ॐ…. ॐ…. का उच्चारण कुदरती ऊँह…. ऊँह…. के रूप में होता है । यदि कुछ अक्षरों का महत्त्व समझकर उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिल सकता है ।*
*🔹’अ’ उच्चारण से जननेन्द्रिय पर अच्छा असर पड़ता है ।*
*🔸’आ’ उच्चारण से जीवनशक्ति आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है । दमा और खाँसी के रोग में आराम मिलता है, आलस्य दूर होता है ।*
*🔸’इ’ उच्चारण से कफ, आँतों का विष और मल दूर होता है । कब्ज, पेड़ू के दर्द, सिरदर्द और हृदयरोग में भी बड़ा लाभ होता है । उदासीनता और क्रोध मिटाने में भी यह अक्षर बड़ा फायदा करता है ।*
*🔸’ओ’ उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है ।*
*🔸’म’ उच्चारण से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। शायद इसीलिए भारत के ऋषियों ने जन्मदात्री के लिए ‘माता’ शब्द पसंद किया होगा ।*
*🔸’ॐ’ का उच्चारण करने से ऊर्जा प्राप्त होती है और मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं । मस्तिष्क, पेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है ।*
*🔸’ह्रीं’ उच्चारण करने से पाचन-तंत्र, गले और हृदय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है ।*
*🔸’ह्रं’ उच्चारण करने से पेट, जिगर, तिल्ली, आँतों और गर्भाशय पर अच्छा असर पड़ता है ।*
*🔹 रविवार विशेष🔹*
*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*