ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 08 जुलाई 2024*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायण*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*🌤️अमांत – 24 गते आषाढ़ मास प्रविष्टि*
*🌤️राष्ट्रीय तिथि – 17 आषाढ़ मास*
*⛅मास – आषाढ़*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – तृतीया पूर्ण रात्रि जुलाई 9 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र – पुष्य प्रातः 06:03 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग – वज्र रात्रि 02:06 जुलाई 09 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल – प्रातः 07:11 से प्रातः 08:54 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:23*
*⛅सूर्यास्त – 07:22*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:36 से 05:18 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12.18 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 जुलाई 09 से रात्रि 01:06 जुलाई 09 तक*
*⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा🔹*
*🔸अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:…… शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें । जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है ।*
*🔸इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा । अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।` जपकर के ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें । ऐसा १० बार करें । कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा ।*
*🔹औषधीय गुणों से भरपूर काली मिर्च🔹*
*🔸काली मिर्च गर्म, रुचिकर, पचने में हलकी, भूखवर्धक, भोजन पचाने में सहायक तथा कफ एवं वायु को दूर करनेवाली है । यह खाँसी, जुकाम, दमा, अजीर्ण, अफरा, पेटदर्द, कृमिरोग, चर्मरोग, आँखों के रोग, पेशाब संबंधी तकलीफों, भूख की कमी, यकृत (liver) के रोग, हृदय की दुर्बलता आदि में लाभदायी है । नेत्रविकारों में सफेद मिर्च का विशेषरूप से उपयोग होता है ।*
*🔸काली मिर्च के सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ती है । यह घृतयुक्त स्निग्ध पदार्थों को शीघ्र पचाती है । अल्प मात्रा में तीक्ष्ण होने से यह शरीर के समस्त स्रोतों से मल को बाहर कर स्रोत शुद्धि – (शरीर के विभिन्न प्रवाह तंत्रों की शुद्धि) करती है, जिससे मोटापा, मधुमेह (diabetes), हृदय की रक्तवाहिनियों के अवरोध (coronary artery disease) आदि से सुरक्षा होती है । दाँत दर्द या दंतकृमि में इसके चूर्ण से मंजन करना अथवा इसे मुँह में रखकर चूसना लाभदायी है। नाड़ी-दौर्बल्य में लाभदायी है ।*
*🔹काली मिर्च के औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸(१) मस्तिष्क व नेत्रों के लिए : प्रातः काली मिर्च का १-२ चुटकी चूर्णं शुद्ध घी व मिश्री के साथ सेवन करने से मस्तिष्क शांत रहता है तथा दृष्टि बलवान होती है ।*
*🔸(२) शरीर पुष्टि हेतु रात्रि के समय १-२ काली मिर्च दूध में उबाल के लेने से शरीर में रस धातु की वृद्धि होकर शेष सभी धातुएँ पुष्ट होती हैं, शरीर का पोषण ठीक प्रकार से होता है ।*
*🔸(३) दमा व खाँसी में काली मिर्च का ४ चुटकी चूर्ण १ चम्मच मिश्री, आधा चम्मच शहद व १ चम्मच शुद्ध घी के साथ मिला के दिन में दो बार चाटने से सर्दी, छाती दर्दसहित होनेवाले दमे व खाँसी में लाभ होता है तथा फेफड़ों में संचित दूषित कफ निकल जाता है ।*
*🔸(४) गले के रोग दिन में एक से दो बार काली मिर्च को चूसना या उसके काढ़े से कुल्ला करना लाभदायी है ।*
*🔸(५) अफरा: काली मिर्च से युक्त संतकृपा चूर्ण २ ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लें । अफरे के अलावा यह चूर्ण कब्ज, पेट के कृमि, गैस, बदहजमी, अम्लपित्त (hyperacidity), सर्दी, खाँसी, सिरदर्द आदि को दूर करने तथा स्फूर्ति एवं ताजगी लाने हेतु लाभप्रद है ।*
*🔸सावधानी: अधिक मात्रा में काली मिर्च के सेवन से पेटदर्द, उलटी, पेशाब में जलन आदि विकार उत्पन्न होते हैं । अतः इसका अल्प मात्रा में सेवन करें ।*