पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली। हाल के दिनों में दिल्ली मैं चल रही अवैध फैक्ट्रियों की वजह से कई लोगों की जान चली गई। ऐसे मैं दिल्ली के रिहायशी इलाकों में चल रही हजारों फैक्ट्रियों को सील करने की तैयारी एक बार फिर से शुरू हो गई है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने एमसीडी को रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों की लिस्ट देने को कहा है। बता दें कि इनमें से अधिकतर फैक्ट्रियां पूर्वी दिल्ली और बाहरी दिल्ली के रिहायशी इलाकों में चल रहे हैं। इन अवैध फैक्ट्रियों से निकलने वाले हानिकारक पदार्थ लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रहा है, साथ ही हाल के दिनों में इन फैक्ट्रियों की वजह से कई मौतें भी हुई हैं।
दिल्ली में सिर्फ 24 स्थानों पर ही फैक्ट्रियां संचालित हो सकती हैं। दिल्ली सरकार ने इन 24 जगहों को औद्योगिक एरिया घोषित कर रखा है, लेकिन दिल्ली के रिहायशी एरिया में भी अवैध रूप से फैक्ट्री चल रहे हैं। आपको बता दें कि नई दिल्ली के झंडेवाला औद्योगिक क्षेत्र, शहजाद बाग औद्योगिक क्षेत्र, एसएमए जीटी करनाल रोड, राजस्थान उद्योग नगर जीटी करनाल रोड, एसएसआई इंडस्ट्रियल एरिया करनाल रोड, जीटी करनाल रोड इंडस्ट्रियल एरिया, ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, मोहन कॉप इंडिस्ट्रियल एरिया, नजफगढ़ औद्योगिक इलाका, डीएलफ कीर्ति नगर, तिलक नगर, आनंद प्रभात एरिया, मायापुरी फेज 1 और 2, नारायणा इंडस्ट्रियल एरिया, रोहतक रोड उद्योग नगर, वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया, लॉरेंस रोड इंडस्ट्रियल एरिया, मंगोलपुरी फेज 1 और फेज 2, शाहदरा जीटी रोड इंडस्ट्रियल एऱिया, फ्रेंड्स कॉलोनी इंडस्ट्रियल एरिया शहदरा, पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया, नरेला इंडस्ट्रियल एऱिया, बवाना इंडस्ट्रियल एरिया और समयपुर बादली इंडस्ट्रियल एरिया हैं, जहां पर उद्योग धंधे खोले जा सकते हैं।
लेकिन, इन 24 जगहों के अलावा भी दिल्ली में औद्योगिक गतिविधियां सालों से हो रही हैं। खासकर, पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर, विश्वास नगर, मौजपुर, शहादरा क्षेत्र हो या बाहरी दिल्ली का बेगमपुर, जहांगीरपुरी या मंगोलपुरी का इलाका, बीते 10-15 सालों से यहां अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं। इसी तरह पश्चिमी दिल्ली के कापसहेड़ा, दक्षिणी दिल्ली के मदनगीर और जंगपुरा जैसे रिहायशी कालोनियों की संकरी गलियों में अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
एमसीडी की पुराने रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली के खजूरी खास, नंदनगरी, दिलशाद गार्डन, विश्वास नगर, गांधी नगर, मंडावली, न्यू अशोक नगर, स्वरूप नगर, गाजीपुर, चिल्ला गांव, किराड़ी, सोनिया विहार, मौजपुर, चांद बाग, बुराड़ी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी, जहांगीरपुरी, शालीमार बाग, पीतमपुरा, समयपुर बादली, नरेला, सागरपुर, डाबरी, बेगमपुर, संगम विहार, कालकाजी, जंगपुरा, भोगल, संजय कालोनी, खानपुर, अंबेडकर नगर, मदनगीर, मटियाला, ख्याला, तिलक नगर, नवादा, उत्तम नगर, नांगलोई, हरिनगर, पालम, कापसहेड़ा और बवाना के रिहायशी इलाके में भी फैक्ट्रियां चल रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविशंकर कुमार कहते हैं, ‘दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही रिहायशी इलाकों में चल रही इन अवैध फैक्ट्रियों को लेकर दर्जनों पिटीशन पेंडिंग हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आवासीय इलाके में कुछ गतिविधियों को छोड़ कर किसी भी हालत में फैक्ट्रियां स्थापित नहीं की जा सकती है। रिहायशी एरिया में बैंक्वेट हॉल और शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकती, लकड़ी का काम, पत्थर या संगमरमर, लोहा या बेल्डिंग काम, स्टील काम, रेत का बिजनेस, कोयले को जला कर बेचा नहीं जा सकता है। खासकर डाई और जीन्स की फैक्ट्रियां भी रिहायशी इलाकों में स्थापित नहीं किए जा सकते. पिछले दिनों कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें पूरा का पूरा परिवार जिंदा जल गया। ऐसे में एक बार फिर से दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हो सकती है।
आने वाले दिनों में दिल्ली में रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों पर सीलिंग की कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रख कर दिल्ली के एलजी ने एमसीडी और दिल्ली सरकार से रिपोर्ट तलब किया है। आए दिन दिल्ली में इससे हादसे हो रहे हैं। फैक्ट्री मालिकों के पास न तो दमकल और न पर्यावरण समेत अन्य विभागों का अनापत्ति प्रमाण पत्र रहता है. बावजूद इसके दिल्ली के तकरीबन 50 रिहायशी इलाकों में 30 हजार से अधिक अवैध फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रही हैं।