
पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली। दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद ठग सुकेश चंद्रशेखर की ओर से दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना को एक और पत्र लिखा गया है, जिसमें उसने सिसोदिया को जेल में वीवीआईपी ट्रीटमेंट देने के संगीन आरोप लगाए हैं। साथ ही एलजी से मांग की है कि वह इस पूरे मामले की जांच करवाएं। सुकेश ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी गंभीर आरोप लगाया है। उसका कहना है कि अरविंद केजरीवाल दरअसल मनीष सिसोदिया की असुरक्षा की झूठी खबर फैला रहे हैं। उपराज्यपाल को लिखे पत्र में चंद्रशेखर ने दावा किया है कि सिसोदिया को तिहाड़ जेल के 9 नंबर वार्ड में रखा गया है, जो सबसे वीवीआईपी वार्ड है। इस वार्ड 9 में सुब्रतो राय सहारा, अमर सिंह, ए राजा, सुरेश कलमाडी, सजंय चंद्रा जैसे कैदियों को रखा गया था। सुकेश ने अपने पत्र में कहा है कि जेल-प्रशासन पूरी तरह आम आदमी पार्टी के हाथ की कठपुतली बन चुका है। सत्येंद्र जैन जेल कर्मचारियों पर नियंत्रण रखते हैं।
मनीष सिसोदिया के ट्विटर हैंडल से आज किए गए एक ट्वीट में लिखा है, ‘साहेब जेल में डालकर मुझे कष्ट पहुंचा सकते हो, मगर मेरे हौसले नहीं तोड़ सकते। कष्ट अंग्रेजों ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को दिए, मगर उनके हौसले नहीं टूटे.’ इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था, ‘आज तक सुना था कि देश में स्कूल खुलते हैं, तो जेल बंद होते हैं; लेकिन अब इन लोगो ने तो देश में स्कूल खोलने वालों को ही जेल में बंद करना शुरू कर दिया.’ आपको बता दें कि मनीष सिसोदिया को सीबीआई के बाद ईडी ने भी गिरफ्तार किया था। अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को 7 दिन की ईडी रिमांड में भेजा है। वहीं, सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी जमानत याचिका को सुनवाई के लिए 21 मार्च तक टाल दिया है।
इधर, सुकेश चंद्रशेखर ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में 10 मार्च को पेशी के दौरान सिसोदिया की गिरफ्तारी पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘सत्य की जीत हुई है, अब अगली बारी अरविंद केजरीवाल की है.’ उसने कहा, ‘इस मामले में केजरीवाल वजीर हैं, एक-एक का पर्दाफाश करूंगा। इस केस में अभी और गिरफ्तारियां होंगी। अरविंद केजरीवाल अपना टास्क को बखूबी निभा रहे हैं। शराब नीति से मेरा कोई लेना-देना नहीं है.’ सुकेश ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर गरीब बच्चों की पढ़ाई में घोटाला करने का आरोप भी लगाया है। उसने कुछ दिन पहले एलजी को लिखे एक अन्य पत्र में दावा किया था कि पहले बच्चों को टैबलेट बांटे जाने को लेकर जो मसौदा तैयार हुआ था, उसका टेंडर 20 फीसदी ज्यादा में देने के लालच पर दूसरी कंपनी को दिया गया।
