– झुलसे कर्मियों की सरकार से उनके फ्री उपचार की मांग
– जिन्दा जले कर्मचारियों को 25-25 लाख का मुआवजा देने की मांग
– परिवार से एक व्यक्ति को विभाग में नियुक्त की मांग
पहाड़ का सच, देहरादून
उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने एक बयान जारी करते हुए अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य इलाके में चार वन कर्मचारियों के जिन्दा जलने पर दुःख व्यक्त करते हुए, मृत आत्माओं की शान्ति एवं शोक-संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा कि कुछ अन्य वन कर्मियों की झुलसने की खबर भी आई है, मैं उनकी शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना के साथ उत्तराखण्ड सरकार से उनके फ्री उपचार की मांग करता हॅू।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जिन्दा जले कर्मचारियों को 10 लाख नही बल्कि 25-25 लाख का मुआवजा देने के साथ उनके परिवार से एक व्यक्ति को विभाग में नियुक्त किया जाना चाहिए। ताकि वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई थी परन्तु ज्ञात हुआ है कि आज तक अल्मोडा मेडिकल कॉलेज में बर्न वार्ड है ही नही तो आग से झुलसने वाले कर्मियों का उपचार कैसे होगा? उन्होंने कहा कि ऐसे ही हाल सभी मेडिकल कॉलेजों एवं अन्य अस्पतालों का है कहीं डाक्टर नही तो कहीं कर्मचारियों की कमी है और कहीं वार्ड नही है कही टेक्नीशियन नही है, ऐसे ही आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं का भी बुरा हाल है।
करन माहरा ने कहा कि उत्तराखण्ड का कुल वन क्षेत्र लगभग 45 प्रतिशत है। कांग्रेस पार्टी लगातार केन्द्र सरकार से उत्तराखण्ड को ग्रीन बोनस देने की मांग करती आ रही है ताकि राज्य में बंजर भूमि पर वृक्षारोपण किया जा सके। परन्तु आजतक भाजपा सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को ग्रीन बोनस नही दिया गया।
उन्होंने कहा कि आज तक राज्य में वनों में लगी आग से लगभग 17 वनकर्मी की मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने राज्य सरकार को कठधरे में खड़ा करते हुए कहा कि राज्य के जंगलों में काफी समय से आग लग रही है, पर वन विभाग आग को बुझाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठा पाया रहा है जिससे वन कर्मियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है जो काफी दुःखद है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आग से वनों को कैसा बचाया जा सकता है इसके लिए सरकार ने अभीतक कोई ठोस नीति नही बनाई है जिनका खामियाजा वन कर्मियों को अपनी मौत के रूप भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वनोें में आग लगने से पेड़, पौघे जल रहे हैं जिससे पीने के पानी के श्रोत्र लगातार सूख रहे हैं और जंगली जानवरों को भी काफी हानि पहॅुच रही है।
करन माहरा ने कहा कि वनाग्नि पर काबू पाने के लिए सरकार के पास कोेई भी ठोस कार्ययोजना नही है और ना ही अस्थाई कर्मचारियों के लिए कोई फायर सूट ही है, ना कोई बीमा योजना है। जिससे राज्य सरकार को सेना की मदद लेनी पड रही है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है। उन्होंने राज्य की जनता से अपील करते हुए कहा कि हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम स्वयं भी आग को बुझाने में वनकर्मियों की मदद करें और उन लोगों को भी चिन्हित करें जो वनों को आग के हवाले कर रहे है। यदि वन ही नही होंगे तो हमारा जीवन भी कहां से सुरक्षित रहेगा।