– सरकारी नौकरी में 30 फीसद महिला आरक्षण पर राज्य सरकार को मिली राहत
पहाड़ का सच,नैनीताल।
हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में प्रदेश की महिलाओं को 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट ने 29 सितम्बर को सुनवाई की थी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जज मनोज तिवारी व पंकज पुरोहित ने याचिका को निरस्त कर दिया।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश का भी जिक्र किया है। महाधिवक्ता ने दलील दी कि राज्य विधानमंडल ने अब उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 लागू कर दिया है, इसलिए ये रिट याचिकाएं निरर्थक हो गई हैं।
राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2023 को प्रदेश की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण देने सम्बन्धी अध्यादेश पारित किया था। इस अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। हाईकोर्ट ने 24 अगस्त 2022 को महिला आरक्षण पर रोक लगा दी थी। नतीजतन, उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुग्रह याचिका पेश की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को महिला आरक्षण पर विशेष बल मिला था।इसके बाद राज्य सरकार ने 29 नवंबर 2022 में विधानसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। सदन से पारित होने कर बाद राज्यपाल ने 10 जनवरी 2023 को विधेयक पर मुहर लगा दी थी।
कोर्ट का फैसला
याचिकाकर्ताओं ने अन्य बातों के अलावा उत्तराखंड की मूल निवासी महिला उम्मीदवारों को दिए गए क्षैतिज आरक्षण को इस आधार पर चुनौती दी है कि ऐसा आरक्षण सरकारी आदेश द्वारा नहीं दिया जा सकता है। महाधिवक्ता का कहना है कि राज्य विधानमंडल ने अब उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 लागू कर दिया है, इसलिए, ये रिट याचिकाएं निरर्थक हो गई हैं। वह आगे बताते हैं कि शुरुआत में इस न्यायालय की समन्वय पीठ ने इन रिट याचिकाओं में अंतरिम आदेश पारित किए थे, जिन पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। हालांकि, उपरोक्त कानून पारित होने के बाद एस.एल.पी. इस न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश के विरुद्ध मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष भी लंबित था,को निष्फल बताकर खारिज कर दिया गया।
उनका मानना है कि उपरोक्त विधान के पारित होने के बाद कार्रवाई का कारण अब जीवित नहीं रहेगा। महाधिवक्ता द्वारा उठाए गए विवाद में तथ्य पाता है, तदनुसार, रिट याचिकाओं को निरर्थक मानते हुए खारिज किया जाता है।
( एजेंसी )
हाईकोर्ट ने लगाई महिला आरक्षण पर रोक
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। 24 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक संबंधी आदेश दिया था। आरक्षण मामले में हरियाणा की पवित्रा चौहान व अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रोका
हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश को उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार की एसएलपी नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। जिसके बाद महिलाओं को मिलने वाला 30 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रहा।
3 हजार महिलाओं का रिजल्ट कैंसिल
अब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने उत्तराखण्ड सम्मिलित राज्य (सिविल) प्रवर अधीनस्थ सेवा प्रारम्भिक परीक्षा- 2021 (Uttarakhand Combined State Civil Upper Subordinate Service Examination) के महिला क्षैतिज आरक्षण के मानको में अनफिट अभ्यर्थियों का रिजल्ट निरस्त कर दिया है। आयोग के इस फैसले के बाद 3247 महिला अभ्यर्थी पीसीएस की मुख्य परीक्षा नहीं दे पाएंगी। इन अभ्यर्थियों का नाम हाईकोर्ट में महिला क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश रद्द होने के बाद संशोधित परिणाम में शामिल किया गया था।
महिला क्षैतिज आरक्षण -एक नजर
-18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया था।
-24 जुलाई 2006 को तत्कालीन पं नारायण दत्त तिवारी सरकार ने आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
-24 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
-04 नवंबर 2022 को उत्तराखंड सरकार की एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
-29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में आरक्षण विधेयक पेश किया।
-30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
-10 जनवरी 2023 को राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दी।