– कायदे से चार साल तो एक सैनिक को तैयार करने में लग जाते हैं
– कांग्रेस से बनाया चुनावी मुद्दा, नतीजों को प्रभावित कर सकता है
पहाड़ का सच टीम थलीसैंण/ कोटद्वार/रामनगर ( गढ़वाल संसदीय क्षेत्र)
लोकसभा चुनाव में आम लोगों में चुनावी मुद्दों को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया है किंतु अग्निवीर भर्ती योजना के बारे में पूर्व सैनिकों में नाराजगी है। राजनीतिक दलों से अलग कुछ पूर्व सैनिकों से जब अग्निवीर भर्ती योजना के नफा नुकसान के बारे में राय पूछी गई तो उनका साफ कहना है कि बेहतर होता केंद्र सरकार सेना में स्थाई नौकरी देती। योजना का जो प्रारूप तैयार किया गया है उसमें चार साल की नौकरी के बाद अग्निवीर को पूर्व सैनिक का दर्जा भी नहीं मिलेगा। सेना में भर्ती का मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है। चार साल की शॉर्ट सर्विस सुरक्षा से जुड़े विषयों को प्रभावित कर सकती है।
अग्निवीर योजना के बारे में ” पहाड़ का सच ” टीम ने थलीसैंण, कोटद्वार, रामनगर में कुछ पूर्व सैनिकों से उनकी राय जाननी चाही। पूर्व सैनिक खुशाल मणि रतूड़ी, रामस्वरूप मंमगाई, पीतांबर दत्त नौडियाल , विमल थपलियाल, विक्रम सिंह रावत, ध्यान सिंह नेगी व प्रेम पपनै ने अग्निवीर पर बेबाक टिप्पणी की। ये सभी पूर्व सैनिक गढ़वाल राइफल व असम राइफल से हैं।
पूर्व सैनिकों का कहना है कि वे किसी राजनीतिक दल से नुमाइंदे नहीं हैं। सेना की सेवा में रहते हुए उनका जो अनुभव है उसके हिसाब से देखा जाए तो केंद्र सरकार की अग्निवीर भर्ती योजना देश की सेना के लिए मुफीद नहीं है। ये देश की सुरक्षा से जुड़ा विषय है जिसे शॉर्ट टर्म सेवा के युवाओं के भरोसे नहीं चलाया जा सकता।
पूर्व सैनिकों का कहना है कि एक सैनिक को मानसिक और शारीरिक रूप से देश की सेवा के लिए तैयार करने में कई साल लग जाते हैं। सेना की सेवा में रहते हुए उसका देश प्रेम का जज्बा बना रहे, समय समय पर सैनिक को ट्रेनिंग दी जाती है। चार साल का अग्निवीर छह महीने की ट्रेनिंग में कैसे तैयार हो पाएगा। सेना के जवान को विषम व कठिन हालात में रहने की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वो सीमाओं पर निडर होकर देश की रक्षा कर सके।
पूर्व सैनिकों का कहना है कि इस योजना से पहाड़ के युवा निराश हुए हैं। जो युवा सेना में जाने की तैयारी कर रहे थे, उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। इस योजना की कमियों के बारे में अब पहाड़ के युवाओं को भी पता चल गया है। जो युवा अग्निवीर बनकर चार साल बाद घर भेज दिए जाएंगे उन्हें सेना के लाभ तो दूर पूर्व सैनिक का दर्जा भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ लेने की नीयत से केंद्र सरकार की ओर से इस तरह की योजना नहीं लानी चाहिए।
इस योजना को लेकर पहाड़ के युवाओं में भारी आक्रोश है। वैसे भी देश की फौज में अब तक गढ़वाल क्षेत्र के युवाओं की अच्छी तादाद है। पूर्व सैनिकों का कहना है कि गढ़वाल की अर्थ व्यवस्था का आधार सेना की नौकरी भी है। सेना में भर्ती एक सैनिक के वेतन से उसके पूरे परिवार की आजीविका चलती है। लिहाजा इस योजना का पूरे परिवार पर असर हो सकता है। पूर्व सैनिकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अग्निवीर को चुनावी मुद्दा बनाया है, चुनाव नतीजों पर इसका असर पड़ सकता है।