
डीएचएफएल, कपिल एक्स धीरज के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया एक और मामला
पहाड़ का सच/ एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने देश के सबसे बड़े 34,615 करोड़ रुपये के बैंक फर्जीवाड़े में दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल), उसके पूर्व सीएमडी कपिल वधावन व निदेशक धीरज वधावन व अन्य के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के कंसोर्टियम ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। सीबीआई द्वारा दर्ज यह सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है। इससे पहले, एबीजी शिपयार्ड पर 23 जार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला यूपी पावर कॉरपोरेशन के पीएफ का दर्ज किया गया था।
जानकारी के अनुसार कपिल वधावन ने 2010 से 2018 के बीच 42,871 करोड़ रुपये के कर्ज लिए। आरोप है कि वधावन बंधुओं ने आपराधिक साजिश कर सुबूतों में हेरफेर किया व तथ्य छिपाए। मई 2019 के बाद किस्तों का भुगतान भी बंद कर दिया और 34,615 करोड़ रुपये हजम कर लिए। दोनों भाई एक अन्य फर्जीवाड़े में न्यायिक हिरासत में हैं। दोनों लखनऊ में घोटाले में भी आरोपी हैं।
यह है मामला : डीएचएफएल 12 ठिकानों पर छापे
केस दर्ज होने के बाद सीबीआई ने 20 जून को 50 से अधिक अफसरों की टीम मुंबई भेजी थी। टीम ने 12 ठिकानों पर छापे मारे इसमें अमेरिलिस रियल्टर्स के सुधाकर शेट्ट के और आठ अन्य बिल्डरों के ठिकाने शामिल थे।
*बैंक की समीक्षा ऑडिट में खुली परतें* जनवरी 2019 में जब आर्थिक हेराफेरी के आरोप लगे, डीएफएफएल के खिलाफ जांच शुरू हुई, तब बैंकों ने एक फरवरी 2019 को केपीएमजी को डीएचएफएल में एक अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2018 तक की विशेष समीक्षा ऑडिट का जिम्मा सौंपा। कपिल व धीरज के खिलाफ लुकआउट सर्कुल भी जारी हुआ, जिससे दोनों देश छोड़कर न जा सकें।
मुखौटा कंपनियों के जरिये हेराफेरी से जुटाई संपत्ति : डीएचएफएल ने कथित तौर पर वित्तीय अनियमितता, पैसों को ठिकाने लगाकर, बही खातों हेरफेर कर, कर्ज की रकम को मुखौटा कंपनियों घुमाकर कपिल व धीरज के नाम पर संपत्ति अर्जित की।
