
देहरादून। आज की लीला में रामजन्म का मंचन किया गया। अयोध्या के राजा दशरथ अपने मंत्री से पूछते हैं कि प्रजा सुखी तो है, तभी अयोध्या के कुल पुरोहित वशिष्ठ दरबार में आते हैं। दशरथ उनका स्वागत करते हैं। वशिष्ठ राजा को चिंचित देखकर पूछते हैं कि महाराज आप चिंतित दिखाई दे रहे हों, क्या कारण है, तो

दशरथ कहते हैं कि गुरुजी मेरी अवस्था ढल रही है, बुढ़ापा आ गया है पर अभी तक संतान का सुख नहीं मिल पाया है, इतना बड़ा राज्य को कौन संभालेगा। फिर गुरु की आज्ञा से राजा दशरथ यज्ञं करते हैं और उनके चार पुत्रों का जन्म होता है। उसके बाद चारों राजकुमारों की शिक्षा होती है। फिर विश्वामित्र दशरथ के पास आते हैं और राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांग कर ले जाते हैं। जहां पर राम लक्ष्मण ताड़का का बध करते हैं।
आज के मुख्य अतिथि खुशाल सिंह परिहार, प्रवक्ता गौरव सेनानी, बिस्मवरी देवी, उत्तराखंड आंदोलनकारी, पार्वती देवी नेगी, एवं नीरज रावत, पूर्व सैनिक आदि रहे। परिहार ने अपने संबोधन में कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि बनियावाला क्षेत्र में रामलीला का का आयोजन किया जा रहा है, तो हम सभी को इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।
आज की रामलीला में कमेटी के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
