पहाड़ का सच ऋषिकेश।
उत्तराखंड में स्थित चारों धामों तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को प्रति वर्ष स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते चारों धामों में समय-समय पर करवट बदलता मौसम भी श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बना रहता है। ऐसे में पहाड़ चढ़ने वाले अधिकांश यात्री हाईपरटेंशन, ऑक्सीजन की कमी के चलते सांस लेने में परेशानी, कार्डियक अरेस्ट, घबराहट, चक्कर आना, उल्टी व दस्त, थकान लगना, हाइपोथर्मिया, पैरों में सूजन और ब्लड प्रैशर जैसी परेशानियों की वजह से कई बार गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं।
इस बार एम्स ऋषिकेश ने यात्रियों की इन स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को देखते हुए न केवल यात्रा मार्गों पर ड्यूटी देने वाले राज्य सरकार के चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया है, अपितु खराब स्वास्थ्य की वजह से संकट में फंसे श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य परामर्श देने के लिए टेलिमेडिसिन नंबर भी जारी किया है।
इसके लिए संस्थान द्वारा स्वास्थ्य कारणों के चलते आपात स्थिति में फंसे तीर्थ यात्रियों को टेलिमेडिसिन सेवा के माध्यम से आवश्यक स्वास्थ्य परामर्श दिया जाएगा। संस्थान ने इसके लिए एक इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर- 7060005829 जारी किया है। इसके अलावा यात्री एम्स की ऑनलाइन कंसल्टेंसी सेवा का लाभ भी उठा सकते हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि राज्य सरकार के अनुरोध पर इस बार चारधाम यात्रा मार्गों में तैनात किए गए डॉक्टरों को एम्स संस्थान द्वारा विशेष तौर से प्रशिक्षित किया गया है। ताकि संकट में फंसे किसी भी तीर्थयात्री को अनुभवी चिकित्सकों के अभाव में जान न गंवानी पड़े।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ को तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य के जांच के तरीके, विधियां और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक परेशानी के अनुरूप तत्काल बेहतर इलाज दिए जाने हेतु प्रशिक्षण दिया गया। बताया कि यात्रा के दौरान यदि किसी गंभीर हालत वाले यात्री को हेली एम्बुलेंस द्वारा एम्स पहुंचाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में तत्काल प्रभावकारी इलाज उपलब्ध कराने के लिए संस्थान के ट्रामा सेंटर में व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
यहां पहले से ही एक डिजास्टर वार्ड भी बना है, जिसमें आपदाग्रस्त लोगों का इलाज किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि संस्थान ई-संजीवनी (कंसल्टेंसी सेवा) के माध्यम से भी जरूरतमंदों को स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करा रहा है।
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए पहले एक घंटे का समय गोल्डन ऑवर होता है। इसलिए जरूरी है कि दुर्घटनाग्रस्त किसी भी व्यक्ति की मदद के लिए तत्काल 108 सेवा, नजदीकी पीएचसी, सीएचसी, जिला चिकित्सालय अथवा मेडिकल कॉलेज को सूचित किया जाए।
चारधाम यात्रा पर जाने वाले लोगों के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि अस्थमा रोगी, शुगर, हार्ट और ब्लड प्रैशर की समस्या वाले यात्रियों को अपनी दवा हमेशा साथ लेकर यात्रा में जाना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों को एहतियातन नियमित अंतराल पर अपना बीपी चौक कराते रहना चाहिए।