– कोर्ट ने कहा, प्रदेश सरकार,जंगल की आग रोकें, बारिश का इंतजार न करें
– अगली सुनवाई 15 मई को
– ‘क्लाउड सीडिंग’ (कृत्रिम बारिश) या ‘इंद्र देवता पर निर्भर रहना’ इस मुद्दे का समाधान नहीं – कोर्ट
पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली। उत्तराखंड के जंगलों में आग के मामले को लेकर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के वकील ने आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए इन पर शीघ्र लगाम लगाने के लिए सरकार को आदेश देने को गुहार लगाई. उसने कहा कि इस तरह की घटनाओं को लेकर उन्होंने 2 साल पहले भी एनजीटी में याचिका लगाई थी. अब तक सरकार ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए मुझे यहां आना पड़ा. याचिका दायर करने वाले ने कहा कि जंगलों में आग लगने का मामला पूरे भारत में है। उत्तराखंड इससे अधिक पीड़ित है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि जब एक जंगल मे आग लग जाती है और आग के बुझ जाने के बाद लैंड यूज चेंज कर दिया जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई अगले गुरुवार 16 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आपने देखा होगा कि मीडिया मे जंगलों में आग की कैसी भयावह तस्वीरें आ रही हैं. इस मामले में राज्य सरकार क्या कर रही है?
वहीं उत्तराखंड सरकार ने राज्य में जंगल की भीषण आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को जानकारी दी। राज्य सरकार ने कहा कि आग की घटना के कारण राज्य का केवल 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र प्रभावित हुआ है. राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि पिछले साल नवंबर से राज्य में जंगल में आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं और वे सभी इंसानों के कारण लगी हैं।
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के बारे में बताने के अलावा पीठ को यह भी बताया कि जंगल की आग के संबंध में 350 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उनमें 62 लोगों को नामित किया गया है। वकील ने कहा कि ‘लोग कहते हैं कि उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा आग से जल रहा है, जबकि इस पहाड़ी राज्य में वन्यजीव क्षेत्र का केवल 0.1 प्रतिशत हिस्सा ही आग की चपेट में है.’ वकील ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने अंतरिम स्थिति रिपोर्ट भी रखी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ‘क्लाउड सीडिंग’ (कृत्रिम बारिश) या ‘इंद्र देवता पर निर्भर रहना’ इस मुद्दे का समाधान नहीं है और राज्य को जंगलों में आग को रोकने के उपाय करने होंगे।