पहाड़ का सच हरिद्वार।
पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अख़बारों में एक ताज़ा माफ़ीनामा प्रकाशित किया है। इस बार माफ़ीनामे का साइज़ पिछले विज्ञापन से बड़ा रखा गया है।
24 अप्रैल को छपे नए विज्ञापन में कहा गया है,
“भारत के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों/आदेशों का पालन न करने या अवज्ञा के लिए हम वैयक्तिक रूप से और कम्पनी की तरफ से बिना शर्त माफ़ी मांगते हैं.”
“हम अपने विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई ग़लती के लिए ईमानदारी से माफ़ी मांगते हैं. ये हमारी पूरी प्रतिबद्धता है कि ऐसी त्रुटियां दोबारा नहीं दोहराई जाएंगी.”
23 अप्रैल को भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या पतंजलि का माफीनामे का साइज़ उतना ही बड़ा था, जितने साइज़ के पहले विज्ञापन थे। कोर्ट ने ये भी पूछ लिया था कि क्या आप हमेशा इतने ही साइज़ का विज्ञापन छपवाते हैं। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट को बताया था कि उन्होंने 67 अख़बारों में विज्ञापन देकर माफ़ीनाम छपवाया था।
इससे पहले रामदेव के वकील ने जवाब में कहा था कि माफ़ीनामे का साइज़ विज्ञापनों जितना बड़ा नहीं था, क्योंकि इसकी क़ीमत बहुत ज्यादा यानी लाखों में है। इसमें 10 लाख रुपये का खर्चा आया था। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होनी है।