– संकट में लक्ष्मी नहीं, डॉक्टर हरक के काम तो आई कांग्रेस
– हरिद्वार लोकसभा सीट से दावेदारी हुई कमजोर, पूर्व सीएम हरीश रावत को राहत
– देखना है कि भाजपा रहम करती है या ईडी/सीबीआई जांच के प्रकरण को उड़ीसा तक ले जाती है या नहीं
पहाड़ का सच देहरादून।
कांग्रेस हाईकमान ने ईडी व सीबीआई जांच में घिरे पूर्व मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत को लोकसभा चुनाव में उड़ीसा का पर्यवेक्षक बनाया है। हरक सिंह के साथ मीनाक्षी नटराजन व प्रगट सिंह को भी पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गयी है।
हरक सिंह को नई जिम्मेदारी मिलने का बाद लगभग यह भी साफ हो गया है कि कांग्रेस हरक सिंह को लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ाने जा रही है। हरक सिंह हरिद्वार से टिकट के दावेदारों में शुमार हैं। हरक सिंह पिछले लम्बे समय से हरिद्वार लोकसभा में विभिन्न कार्यक्रमों में व्यस्त भी रहे और लोकसभा चुनाव लड़ने की कई बार इच्छा भी जता चुके थे। हरक सिंह रावत का उड़ीसा का आब्जर्वर बनने के बाद हरिद्वार लोकसभा सीट से पूर्व सीएम हरीश रावत का रास्ता अब काफी सुगम बताया जा रहा है।
इस बीच, रविवार को पूर्व सीएम हरीश रावत अयोध्या में रामलला के दर्शन कर आये। प्रदेश अध्यक्ष मेहरा ने प्रीतम सिंह के घर जाकर मेल मुलाकात की। माहरा का नाम भी हरिद्वार से उम्मीदवारों के पैनल में शामिल है। प्रीतम सिंह टिहरी लोकसभा सीट से पार्टी के सबसे मजबूत दावेदारों में शुमार हैं।
मनीष खंडूडी के भाजपा में जाने के बाद पौड़ी लोकसभा सीट से गणेश गोदियाल के चुनावी अखाड़े में उतारे जाने की संभावना सबसे अधिक है। गोदियाल अपनी विधानसभा क्षेत्र के सघन दौरे पर हैं।
नैनीताल व अल्मोड़ा सीट पर यशपाल आर्य, रंजीत रावत, महेंद्र पाल, प्रदीप टम्टा सशक्त दावेदारों में उभरे हैं। हल्द्वानी घपले व सपा के उम्मीदवार नहीं उतरने पर कांग्रेस नैनीताल व हरिद्वार सीट पर मजबूती मिलने के भी कयास लगा रही है।
बहरहाल, पूर्व मंत्री हरक सिंह की करीबी व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा के कांग्रेस छोड़ने के बाद हरक सिंह के राजनीतिक कदम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। इस बीच, कांग्रेस हाईकमान ने हरक सिंह को उड़ीसा की जिम्मेदारी देकर जहां हरिद्वार में जारी टिकट की जंग को ठंडा करने की कोशिश की। वहीं, संकट में घिरे हरक सिंह को बड़ी राहत दी है। डा.हरक को नई जिम्नेदारी मिलने के बाद कहा जा रहा है कि भले ही संकट में पार्टी हरक की करीबी लक्ष्मी राणा के काम न आई हो किंतु हरक सिंह के काम तो आई है। अब देखना ये है कि भाजपा डा.हरक सिंह रावत पर कितना रहम करती है और चुनावी माहौल में ईडी व सीबीआई की जांच के प्रकरण को उड़ीसा तक ले जाती है अथवा नहीं?