– सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उठाई जांच की मांग
– जीपीएस लगाने वाली कंपनियों को पहुंचाया जा रहा फायदा
– आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा मनमाने फैसले लेने से देहरादून की जनता आहत
– भ्रष्टाचार के आचरण की जांच सीबीआई अथवा ज्यूडिशियली से कराए जाने का अनुरोध
पहाड़ का सच,देहरादून
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र मैं सिटी यूनियन के अध्यक्ष ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पहले 28 नवंबर 2016 को एक अधिसूचना जारी कर सभी चार पहिया यात्री वाहनों पर जीपीएस लगाने का आदेश जारी किया गया था लेकिन 1 अप्रैल 2018 को मंत्रालय द्वारा फिर इसकी जांच की गई और 31 दिसंबर 2018 तक पंजीकृत सभी सेवा वाहनों (पुराने वाहनों) को जीपीएस लगाने पर छूट देने का निर्णय लिया गया केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 15 जनवरी 2020 में स्पष्ट उल्लेख है कि वर्ष 2019 से पूर्व पुराने पैसेंजर व्हीकल मोटर , टैक्सी एवं बसों में जीपीएस नही लगाए जाने को कहा गया है, मोटर व्हीकल एक्ट में भी 2018 से पूर्व के सभी पैसेंजर वाहनों पर प्रावधान नहीं रखा गया है ,ना ही मोटर व्हीकल रूल्स में भी कोई प्रावधान नहीं रखा गया है ,ना ही राज्य सरकार द्वारा किसी तरीके कोई आदेश दिया गया है तो फिर आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा कुछ वाहनों पर जबरदस्ती जीपीएस लगाकर कहीं ना कहीं जीपीएस लगाने वाली कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है और कहीं ना कहीं इन कंपनियों से फायदा लिया जा रहा है यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है।
लेकिन आरटीओ द्वारा अपने भ्रष्ट आचरण के तहत आरटीए अध्यक्ष एवं मेंबरों को गुमराह कर बिना केंद्र सरकार की अधिसूचना के सभी पुराने पैसेंजर वाहनों में जो घंटाघर देहरादून से एक या डेढ़ किलोमीटर के अंदर संचालित होंगे जीपीएस लगाए जाने के आदेश पारित कराए गए हैं और अन्य वाहनों को जीपीएस ना लगाने की छूट देकर भेदभाव किया जा रहा है।
आरटीओ सुनील शर्मा का मनमाना फैसला कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है क्योंकि आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा स्वयं ही अपने बनाए गए एजेंडे में हस्ताक्षर किए गए और स्वयं ही पारित एजेंडा में आदेश बनाकर हस्ताक्षर किए गए है
क्योंकि यदि जो वाहन एक या डेढ़ किलोमीटर के बाहर से संचालित होते हैं और उन्हें कभी घंटाघर क्षेत्र में आना पड़े तो उन वाहनों में जीपीएस ना लगा होने पर उन वाहनों की मॉनिटरिंग कैसे की जाएगी। जबकि आरटीओ देहरादून द्वारा कहा गया है कि इसकी हम मॉनिटरिंग करेंगे यदि इन वाहनों में जीपीएस नहीं लगा होगा तो उसका चालान किया जाएगा । जबकि ई रिक्शा का देहरादून शहर से मुख्य मार्गों पर शासन द्वारा अपनी अधिसूचना से सुबह 8:00 से रात्रि 8:00 बजे तक रोक लगाई गई है लेकिन आरटीओ विभाग ई रिक्शा का शहर में संचालन रोकने में असफल रहा है ।
आरटीओ देहरादून सुनील शर्मा द्वारा दिनांक 9 फरवरी 2024 को अपने कार्यालय में सांय साढे तीन बजे बैठक कर सभी कमर्शियल पैसेंजर व्हीकल यूनियन के प्रतिनिधियों से जीपीएस से संबंधित समस्या के लिए बुलाया गया लेकिन जब आरटीए ने 23 /12/2023 की बैठक में निर्णय ले लिया तो फिर यूनियनों की समस्याओं के समाधान का कोई औचित्य नहीं रहा सिर्फ यूनियन के प्रतिनिधियों को बुलाकर समस्या का निराकरण न कर आर टीओ द्वारा अपने आदेश को सुनाया गया। मेरे द्वारा जब यह कहा गया की देहरादून शहर में आप ट्रैफिक सुधार के लिए तो कदम उठा रहे हो और इधर सैकड़ो की संख्या में अब ई रिक्शा की जगह ई ऑटो का रजिस्ट्रेशन कर रहे हो तो ई ऑटो का भी ई रिक्शा की तरह सुबह 8:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक मुख्य मार्गों पर अधिसूचना के माध्यम से रोक लगाई जाए
क्योंकि जिन मार्गों की वाहन क्षमता प्रतिदिन 5000 वाहन संचालन की है यदि उन मार्गो पर 10000 वाहनों का संचालन होगा तो ट्रैफिक की विकराल होती समस्या जस की तस होगी लेकिन आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा बताया गया की घंटाघर से डेढ़ किलोमीटर में आने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाकर यह समस्या हल कर दूंगा आरटीओ सुनील शर्मा का यह कथन बड़ा ही विस्मयकारी है ।
आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा लिए जा रहे अजीबोगरीब फैसलों से क्या उनके उच्च अधिकारी सहमत हैं यह बड़ा ही सोचनीय विषय है क्योंकि आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा मनमाने फैसले लेने से देहरादून की जनता आहत है। यहां केंद्र सरकार के जीपीएस लगाने के आदेश न होने के बावजूद मनमाने फैसले ले रहे हैं।
अतः महोदय से निवेदन है कि सुनील शर्मा द्वारा आरटीए बैठक में अपने उच्च अधिकारियों को गुमराह कर विधि विरूद्ध कराए गए आदेश पर रोक लगाई जाए और उनके भ्रष्टाचार के आचरण की जांच सीबीआई अथवा ज्यूडिशियली से कराए जाने का पुनः अनुरोध है धन्यवाद – अध्यक्ष, विजय वर्धन डंडरियाल