– नाना जी देशमुख व वाजपेई के बाद देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले भाजपा के तीसरे नेता
– 1989 में पार्टी अध्यक्ष रहते हुए सबसे पहले राम मंदिर का प्रस्ताव पारित कराया था
पहाड़ का सच/एजेंसी नई दिल्ली।
पूर्व उपप्रधानमंत्री व भाजपा के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
पार्टी और हिंदुत्व की विचारधारा के लिए सक्रिय रहे आडवाणी (96) को सम्मान दिए जाने की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर दी। राम मंदिर आंदोलन के तहत रथयात्रा निकालने वाले आडवाणी को सम्मानित करने का फैसला अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कुछ ही दिन बाद आया है। 1989 में बतौर भाजपा अध्यक्ष पार्टी के पालमपुर अधिवेशन में आडवाणी ने ही सबसे पहले राममंदिर बनाने का प्रस्ताव पारित कराया था।
आडवाणी सम्मान पाने वाले देश की 50वीं शख्सियत व भाजपा-जनसंघ से नानाजी देशमुख, व अटलबिहारी वाजपेयी के बाद तीसरे बड़े नेता हैं। केंद्र ने हाल में सामाजिक न्याय की राजनीति के शीर्ष रहे कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गई। साल 1951 में जनसंघ से राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्य हैं। पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल वयोवृद्ध नेता 5 बार लोकसभा और 4 बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। तीन बार भाजपा के अध्यक्ष रहने के अलावा आडवाणी मोरारजी देसाई सरकार में सूचना एवम प्रसारण मंत्री और वाजपेई सरकार में गृह मंत्री व उप प्रधानमंत्री रहे। मोदी सरकार ने 2015 में उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया था।
आदर्शों व सिद्धांतों का सम्मान: आडवाणी
” मैं अत्यंत विनम्रता व कृतज्ञता के साथ सम्मान स्वीकार करता हूं। यह व्यक्ति के रूप में न सिर्फ मेरा, बल्कि उन आदशों व सिद्धांतों का भी सम्मान है, जिनका पालन करने का मैंने प्रयास किया। जिस चीज ने मेरे जीवन को प्रेरित किया है, वह आदर्श वाक्य है, यह जीवन मेरा नहीं है। मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए है।”
देश के विकास में योगदान अविस्मरणीय
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर आडवाणी के साथ दो तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, ” मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने उनसे बात की और बधाई दी। अपने समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक आडवाणी का देश के विकास में योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करते हुए उपप्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने तक का है। उनका संसदीय योगदान अनुकरणीय व समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरा है।
सार्वजनिक जीवन में आडवाणी की दशकों पुरानी सेवा को पारदर्शिता व अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से चिह्नित किया गया है, जिसने राजनीतिक नैतिकता में अनुकरणीय मानक स्थापित किया है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता व सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने में अद्वितीय प्रयास किएं। यह मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है।
राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाले नेता
वयोवृद्ध भाजपा नेता व पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की पहचान देश की राजनीति की दशा व दिशा बदलने वाले कद्दावर हिंदुत्ववादी नेता की रही है। उनके नेतृत्व ने न सिर्फ भारतीय राजनीति की धुरी में राष्ट्रवाद व हिंदुत्व को जगह दी, बल्कि केंद्र में कांग्रेस के विकल्प के तौर पर भी भाजपा को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में उनकी सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा मील का पत्थर बनी।