
पहाड़ का सच/एजेंसी।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की वन भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह बेहद चौंकाने वाला है कि उत्तराखंड सरकार और उसके अधिकारी अपनी आंखों के सामने वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को मूक दर्शक की तरह देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर खुद ही संज्ञान लिया है।
उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार पड़ी है। राज्य निवासी अनीता कंडवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार और उसके अधिकारी जंगल की ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर “मूक दर्शक” बने बैठे हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लेते हुए केस शुरू किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिहायशी घरों को छोड़कर खाली ज़मीन पर वन विभाग कब्ज़ा करेगा। कोर्ट ने छुट्टियों के बाद कोर्ट खुलने पर सोमवार को मामले की सुनवाई तय की। सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड में जंगल की ज़मीन के एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्ज़े से जुड़ी अनीता कंडवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की वेकेशन बेंच ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को राज्य में वनों की जमीन पर हुए कब्जों की जांच के लिए एक कमेटी बनाने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हमारे लिए यह चौंकाने वाली बात है कि उत्तराखंड राज्य और उसके अधिकारी अपनी आंखों के सामने जंगल की ज़मीन पर कब्ज़ा होते देख मूक दर्शक बने बैठे हैं। इसलिए हमने खुद ही इसका संज्ञान लेते हुए एक केस शुरू कर दिया है। वेकेशन बेंच ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव और प्रधान संरक्षण सचिव को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कमेटी को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है। बेंच ने कहा कि इस मामले में प्राइवेट पार्टियों को किसी भी तीसरे पक्ष का अधिकार बनाने से रोका जाता है और कोई निर्माण नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिहायशी घरों को छोड़कर खाली ज़मीन पर वन विभाग कब्ज़ा करेगा। कोर्ट ने छुट्टियों के बाद कोर्ट खुलने पर सोमवार को मामले की सुनवाई तय की।
