
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 14 दिसम्बर 2025*
🌤️ *दिन – रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – हेमंत ॠतु*
⛅ *अमांत – 29 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
⛅ *राष्ट्रीय तिथि – 23 मार्गशीर्ष मास*
🌤️ *मास – पौष (गुजरात-महाराष्ट्र)मार्गशीर्ष*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – दशमी शाम 06:49 तक तत्पश्चात एकादशी*
🌤️ *नक्षत्र – हस्त सुबह 08:18 तक तत्पश्चात चित्रा*
🌤️ *योग – सौभाग्य सुबह 11:45 तक तत्पश्चात शोभन*
🌤️ *राहुकाल – शाम 03:59 से शाम 05:14 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 07:07*
🌤️ *सूर्यास्त – 05:18*
👉 *दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
चंदन लगाने का तरीका
1. स्नान करें — हमेशा नहाकर ही चंदन लगाएँ।
2. शुद्धता — हाथ साफ रखें और चंदन हाथ पर हल्का रगड़कर गुनें।
3. पहले देवता, फिर स्वयं — पहले अपनी इष्टदेवता को अनामिका (रिंग फिंगर) से तिलक करें; उसके बाद वही उंगली से खुद पर तिलक/टीका लगाएँ (माथा, कंठ, नाभि)।
4. प्रमाणित रखें — यदि पूजा के नियम विशेष हों (मंत्र/ठाकुर का निर्देश), तो उसी अनुसार लगाएँ।
5. तिलक के बाद — तिलक लगाकर सोना वर्जित है; भारी शारीरिक श्रम से पहले व जरूरत हो तो पुनः स्नान कर लें।
4) सावधानियाँ
बिना स्नान के तिलक न लगाएँ।
त्वचा संवेदनशीलता: कहीं लालिमा/खुजली हो तो चंदन लगाकर देखने से पहले पैच टेस्ट करें।
विवाहित महिलाएँ: पारंपरिक रीति के अनुसार कुछ समुदायों में सफेद चंदन से परहेज होता है — वे लाल चंदन या पारंपरिक बिंदी/सिंदूर का उपयोग कर सकती हैं। (स्थानीय परंपरा देखें)।
त्वचा पर घिसने/रगड़ने से बचें—चंदन बहुत सूखा होता है; जरूरत हो तो गुलाबजल/ठंडा पानी हल्का स्पर्श कर लें।
खाली आँखों/मुंह/घाव पर न लगाएँ।
5) आध्यात्मिक व स्वास्थ्य संबंधी लाभ (सार)
मानसिक शांति और ध्यान में सहायता।
नकारात्मक ऊर्जा/नजर दोष से पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार सुरक्षा।
त्वचा सम्बन्धी छोटे-मोटे फायदे
पूजा-पाठ में पवित्रता और ग्रह-प्रभावों को संतुलित करने का प्रतीकात्मक लाभ।
6) स्टोरेज और गुणवत्ता
शुद्धता देखें: केमिकल-फ्री और प्राकृतिक चंदन चुनें; नकली रंग/केमिकल मिलावट पर ध्यान दें।
संग्रह: ठंडी, सूखी और हवादार जगह में रखें; प्लास्टिक में लंबे समय तक न रखें।
बनावट: कच्चा पेस्ट, टिकिया या सूखा चूरा—जिस रूप में आरामदायक हो उसी का प्रयोग करें।
7) छोटे-छोटे उपयोगी सुझाव
यात्रा पर छोटे पॉट में चंदन रख कर ले जाएँ — पूजा-समय पर उपयोगी है।
यदि चेहरे पर लगाने के लिए चाहें, तो गुलाबजल मिलाकर हल्का पेस्ट बनाकर उपयोग करें — सुखद ठंडक मिलती है।
पूजा के बाद अगर आप बाहर जा रहे हैं तो तिलक हल्का रखें या नग्न रखें ताकि सूखा दिखने पर हटाया जा सके।
8)
चंदन दिन/देवता मुख्य लाभ
सफेद सोमवार/विष्णु/शिव शीतलता, ध्यान, तनाव-निवारण
लाल मंगलवार/देवी/हनुमान/लक्ष्मी ऊर्जा, साहस, त्वचा की जलन में राहत
पीला (गोपी) श्रीकृष्ण/भक्ति भक्ति, प्रेम, सात्त्विकता
🚩 *व्रत पर्व विवरण-
💥 *विशेष –
🌞~*वैदिक पंचांग* 🌞
🌷 *एकादशी व्रत के लाभ* 🌷
➡️ *14 दिसम्बर 2025 रविवार को शाम 06:49 से 15 दिसम्बर, सोमवार को रात्रि 09:19 तक एकादशी है।*
💥 *विशेष – 15 दिसम्बर, सोमवार को एकादशी का व्रत उपवास रखें ।*
🙏🏻 *एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
🌞 *~ वैदिक पंचाग ~* 🌞
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