
पहाड़ का सच देहरादून। जल विद्युत निगम की प्रदेश में 336 मेगावाट की तीन जल विद्युत परियोजनाओं को मंजूरी मिल गई है। बृहस्पतिवार को हुई 131वीं बोर्ड बैठक में कई प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।


यूजेवीएनएल अध्यक्ष व मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक हुई। बैठक में लिए गए फसलों की जानकारी देते हुए निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल ने बताया कि राज्य में ऊर्जा उत्पादन को गति देने के लिए प्रस्तावित 120 मेगावाट क्षमता की सरकारी भ्योल रुपसियाबगड़, 102 मेगावाट की मोरी त्यूणी और 114 मेगावाट की सेला उर्थिंग जल विद्युत परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न प्रस्तावों को आवश्यक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। सरकारी भ्योल रुपसियाबगड़ परियोजना के विद्युत यांत्रिक कार्यों की पुनरीक्षित लागत भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि बोर्ड ने निगम के परिचालन के तहत विद्युतगृहों एवं अन्य घटकों को वर्ष 2026-27 के लिए बीमित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। साल 1907 में स्थापित 3.5 मेगावाट की गलोगी लघु जल विद्युत परियोजना के आरएमयू के पश्चात कैपिटल संशोधित टैरिफ के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। 11 वृहद जल विद्युत परियोजनाओं के टैरिफ पिटिशन के विचलन से स्वीकृत प्रस्ताव का भी संज्ञान निदेशक मंडल ने लिया।
बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव वित्त हिमांशु खुराना के साथ ही निदेशक इंदु कुमार पांडेय, बीपी पांडेय, पराग गुप्ता, पिटकुल के प्रबन्ध निदेशक पीसी ध्यानी, सुरेश चन्द्र बलूनी, निदेशक परिचालन एके सिंह मौजूद रहे।
