
– उत्तराखंड में वेडिंग डेस्टिनेशन, सेमी कंडक्ट हब, बोर्डर एरिया टूरिज्म व इंटरनेशनल स्किलिंग सेंटर पर चर्चा

– मुख्य सचिव ने सीडीएस से कहा, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को तेजी से बढ़ाएं

पहाड़ का सच नई दिल्ली/देहरादून।
उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, गृह मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिवों के साथ राज्य हित से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक चर्चा की।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने केन्द्रीय पर्यटन सचिव सुश्री वी. विद्यावती से मुलाकात कर उत्तराखण्ड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किए जाने, शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहन देने, स्थानीय एवं धार्मिक पर्यटन का विस्तार करने तथा स्पोर्ट्स टूरिज्म के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना को सुदृढ़ बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ है और केंद्र सरकार के सहयोग से इसके नए अवसरों का व्यापक विकास संभव है।

केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एस. कृष्णन से भेंट के दौरान मुख्य सचिव ने देहरादून स्थित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारत सरकार के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत उत्तराखण्ड को संभावित सेमीकंडक्टर हब के रूप में विकसित करने तथा आईटी और आईटीईएस क्षेत्रों में राज्य की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करने हेतु सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान से मुलाकात में मुख्य सचिव ने सीमांत क्षेत्रों में बॉर्डर एरिया टूरिज्म को बढ़ावा देने और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को आगे बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने अनुरोध किया कि भारतीय सेना और आईटीबीपी द्वारा राज्य के स्थानीय खाद्य उत्पादों की खरीद में वृद्धि की जाए, जिससे स्थानीय लोगों की आय बढ़ने के साथ ही सैनिकों को पौष्टिक एवं गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। उन्होंने ऑपरेशन सद्भावना में स्थानीय प्रशासन एवं जनसहभागिता को और मजबूत बनाने पर भी विशेष जोर दिया।
केन्द्रीय जल शक्ति सचिव वी. एल. कांता राव के साथ बैठक में मुख्य सचिव ने राज्य में बाढ़ राहत एवं बचाव कार्यों को त्वरित स्वीकृति प्रदान करने, नदियों के परस्पर संयोजन की परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने तथा लखवाड़ परियोजना के लंबित कार्यों को शीघ्र स्वीकृति दिए जाने का अनुरोध किया।
केन्द्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से भेंट के दौरान मुख्य सचिव ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए उच्चस्तरीय सलाहकार उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उन्होंने माणा गाँव की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हुए उसके समग्र विकास के लिए भी सहयोग प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
केंद्रीय कौशल विकास सचिव देवाश्री मुखर्जी से मुलाकात में मुख्य सचिव ने राज्य में अधिक आईटीआई संस्थानों के विकास, विद्यालयों में मिनी आईटीआई स्थापित करने, इंडिया स्किल्स कम्पीटिशन को प्रोत्साहन देने तथा उत्तराखण्ड में इंटरनेशनल स्किलिंग सेंटर की स्थापना हेतु केंद्र सरकार के सहयोग की मांग की।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास सचिव शैलेश कुमार सिंह के साथ चर्चा में मुख्य सचिव ने मनरेगा की अवशेष राशि जारी करने, मजदूरी दरों में वृद्धि तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के लक्ष्यों के विस्तार का अनुरोध किया। उन्होंने ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम के अंतर्गत बाजार उपलब्धता, तकनीकी उपयोग और कन्वर्ज़न को सशक्त बनाने तथा हाउस ऑफ हिमालयाज के स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने पर भी विस्तृत चर्चा की।
प्रधानमंत्री कार्यालय में भेंट के दौरान मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न अहम प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय एवं सहयोग प्रदान किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने राज्य में भूस्खलन, बादल फटना एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने हेतु उन्नत तकनीक आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने के लिए तकनीकी सहयोग पर भी चर्चा की। साथ ही एनडीएमए द्वारा केंद्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से एक समावेशी आपदा प्रबंधन कार्यक्रम प्रारंभ किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने अप्रैल 2025 में सीडीएस (रक्षा प्रमुख) जनरल अनिल चौहान से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान, उन्होंने उत्तराखंड से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना, अन्य रेल परियोजनाएं, और हवाई अड्डों का विकास शामिल था।
मुलाकात का कारण: मुख्य सचिव ने सीडीएस से भेंट कर राज्य से संबंधित विकास परियोजनाओं पर चर्चा की।
चर्चा के मुख्य बिंदु:
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को शीघ्र पूरा करने पर जोर दिया गया। गंगोत्री-यमुनोत्री, टनकपुर-बागेश्वर, देहरादून-सहारनपुर, और किच्छा-खटीमा जैसी अन्य रेल परियोजनाओं के लिए त्वरित स्वीकृति का अनुरोध किया गया।
देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डों पर रात में उतरने की सुविधा और उनके विस्तार पर बात हुई। पर्वतीय क्षेत्रों में हेलीकाप्टर संचालन के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सुविधाओं की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।