
– इस निर्णायक दशक में ऊर्जा सुरक्षा भारत की प्रगति का एक अहम स्तंभ होगी – डॉ. राम शर्मा,

देहरादून। आज यूपीईएस देहरादून कैंपस में यूपीईएस एनर्जी समिट के चौथे संस्करण की शुरुआत हुई। दो-दिवसीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित इस समिट में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन सस्टेनेबल एंड अफोर्डेबल एनर्जी (आईसीएसएई 2025) हाइब्रिड मोड में हो रही है, जिसे अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) का समर्थन प्राप्त है।

साल 2022 से यूपीईएस एनर्जी क्लस्टर द्वारा क्यूरेट किया जा रहा यह समिट अब विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, नीतिनिर्माताओं और इनोवेटर्स के लिए अग्रणी मंच बन चुका है, जहाँ वे तात्कालिक ऊर्जा चुनौतियों पर चर्चा कर व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान आगे बढ़ाते हैं—जिसका प्रमाण इस वर्ष वैश्विक भागीदारी और विषयों की व्यापकता है। ऊर्जा सुरक्षा, राष्ट्रों के भविष्य को आकार देने में, खाद्य सुरक्षा के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इसी जरूरत को समझते हुए, समिट एक प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म के रूप में विकसित हुआ है जहाँ वैश्विक ऊर्जा चुनौतियों पर विचार कर टिकाऊ रास्ते तलाशे जाते हैं।
आज की उद्घाटन सत्रों में विश्वसनीयता, वहनीयता और कार्बन-मुक्ति (डीकार्बोनाइजेशन) पर साक्ष्य-आधारित कार्रवाई का एजेंडा तय किया गया। कॉन्फ्रेंस में ऊर्जा उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग जैसे विषयों पर लगभग 200 शोध-पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईरेना), अबू धाबी, यूएई की डिप्टी डायरेक्टर-जनरल गौरी सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत किया। उनके साथ कई प्रमुख कीनोट स्पीकर्स ने वैश्विक ऊर्जा ट्रांजिशन के अहम मोड़ों पर विचार साझा किए।
भविष्य की प्रतिभा को संवारने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, 100 से अधिक स्कूल विद्यार्थी ‘सस्टेनेबल एंड अफोर्डेबल एनर्जी’ विषय पर मॉडल और पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से भाग ले रहे हैं—वे वैज्ञानिकों, उद्योग नेताओं और नीतिनिर्माताओं से सीधे संवाद कर अपने विचारों को प्रभाव में बदल रहे हैं।
समिट के पहले दिन पर टिप्पणी करते हुए, डॉ. राम शर्मा, कुलपति, यूपीईएस ने कहा: “इस निर्णायक दशक में ऊर्जा सुरक्षा भारत की प्रगति का एक अहम स्तंभ होगी। यूपीईएस में हम शोध, नीति और उद्योग को एक ही मंच पर ला रहे हैं, ताकि युवा सीधे वास्तविक दुनिया में काम करने वाले विशेषज्ञों से सीखें और भविष्य की दिशा तय कर सकें। आईसीएसएई 2025 और एनर्जी समिट के साथ हमारा लक्ष्य सरल है—विज्ञान को व्यवहार में बदलकर ऐसे समाधान देना, जो भरोसेमंद, किफायती और स्वच्छ हों। हम ऐसे जिम्मेदार विकास का समर्थन करना चाहते हैं, जो बुनियादी ढांचे के विस्तार और पर्यावरण—दोनों के बीच सही संतुलन बनाए।”
12 नवम्बर को कार्यक्रम में सुबह 11:30 से दोपहर 12:30 बजे (आईएसटी) ‘एनर्जी सिक्योरिटी और नेट-ज़ीरो एमिशन: आगे की चुनौतियाँ और अवसर’ विषय पर एक हाई-लेवल पैनल डिस्कशन होगा, जिसमें वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ और प्रशासक निवेश, नवाचार और समावेशी पहुँच को तेज करने के रास्तों पर चर्चा करेंगे।
समिट का फोकस भारत की ऊर्जा दृष्टि के अनुरूप है—दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश, दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक, तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था—जो 2070 तक नेट-ज़ीरो एमिशन और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्ध है, और जो तेज़ी से सोलर, विंड, बायोमास और वेस्ट-टू-एनर्जी क्षमताएँ बढ़ा रहा है।
उत्तराखंड की प्रचुर धूप और समृद्ध वन-आधारित बायोमास जैसे विशिष्ट क्षेत्रीय लाभों के साथ, एनर्जी समिट 2025 ऐसे जिम्मेदार, स्थानीय-आधारित समाधानों पर प्रकाश डाल रहा है जो राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करें, और आने वाली पीढ़ियों के लिए वहनीयता व पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करें।
अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें: www.upes.ac.in
