
अतिक्रमण कर स्थापित की गई शराब की दुकान से मचा बबाल

आबकारी आयुक्त का पुतला फूंका, आंदोलनकारियों ने निकाला जुलूस, दो अनशन पर बैठे
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का विधानसभा क्षेत्र का है मामला
प्रतिद्वंदी ओमगोपाल रावत भी उतरे आंदोलनकारियों/प्रदर्शनकारियों के साथ विरोध में
पहाड़ का सच ऋषिकेश। स्थानीय युवक की हत्या के बाद मुनिकीरेती क्षेत्र के खारास्रोत में अंग्रेजी शराब की दुकान के विरोध में चल रहे आंदोलन ने तेजी पकड़ ली है। आंदोलन नवें दिन प्रवेश कर गया। यह कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का विधानसभा क्षेत्र है और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी व पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत भी शराब की दुकान का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों/प्रदर्शकारियों के साथ विरोध में उतर आए हैं। बावजूद इसके भारी सुरक्षा और पुलिस की मौजूदगी में शराब की बिक्री बदस्तूर जारी है।
स्थानीय लोगों ने खारास्रोत से चौदहबीघा तक जुलूस निकालते हुए आबकारी आयुक्त के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की प्रदर्शनकारियों ने ब्रह्मानंद मोड़ पर आबकारी आयुक्त का पुतला फूंक कर तीव्र विरोध जताया।
उधर, राजस्व विभाग की जांच में खुलासा हुआ है कि खारास्रोत स्थित शराब की दुकान 214 वर्गमीटर भूमि पर फैली हुई है, जबकि इसके लिए केवल 100 वर्गमीटर का ही आवंटन हुआ था।तहसील प्रशासन ने 31 अक्तूबर को दुकान संचालक को अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया है। एसडीएम आशीष घिल्डिय़ाल ने कहा कि यदि सोमवार तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो मंगलवार को प्रशासन खुद कब्जा हटाने की कार्रवाई करेगा।
शराब की दुकान के बाहर मुस्तैद पुलिस फ़ोर्स की लेकर आंदोलनकारी नाराजगी प्रकट कर रहे हैं आक्रोशित लोगों का कहना है कि तीर्थनगरी में शराब की दुकान खोलना धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ है। आठ दिनों से लगातार विरोध के बावजूद सरकार की चुप्पी जनभावनाओं का अपमान है। प्रदर्शन स्थल पर भारी पुलिस और आबकारी विभाग की टीमें मौजूद रहीं, लेकिन आंदोलनकारी अपनी मांगों पर अडिग रहे।
पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने कहा कि सरकार के लिए एक शराब की दुकान हजारों लोगों की भावना से बड़ी हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दुकान नियमानुसार नहीं, बल्कि अवैध रूप से संचालित हो रही है। उन्होंने तीर्थ और कुंभ क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियों को जनविरोधी करार देते हुए कहा कि जब तक दुकान बंद नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलनकारी अनशन पर
शराब की दुकान बंद करने की मांग को लेकर दिनेश चंद्र मास्टर और विकास रयाल आठ दिनों से अनशन पर बैठे हैं। दोनों ने कहा कि यह सिर्फ दुकान बंद करने का आंदोलन नहीं, बल्कि क्षेत्र की आस्था और भविष्य की सुरक्षा की लड़ाई है। उन्होंने साफ कहा कि मांग पूरी होने तक अनशन समाप्त नहीं किया जाएगा।
जनभावनाओं की अनदेखी पर भड़के लोग
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि तीर्थनगरी की धार्मिक पहचान से खिलवाड़ हो रहा है। कहा गया कि यदि सरकार ने जल्द ही दुकान बंद नहीं कराई तो आंदोलन उग्र रूप लेगा। स्थानीय निवासी लगातार मांग कर रहे हैं कि खारास्रोत में शराब बिक्री को पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाए।
