
देहरादून। आज बड़ोंवाला में पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति द्वारा पारंपरिक रूप से प्रथम ईगास महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में मानक सिद्ध नगर और बनियावाला बस्ती के स्वयं सेवक शामिल हुए।

आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सतेंद्र पंवार, महानगर कार्यवाह, मनीष बागड़ी, महानगर प्रचार प्रमुख थे। उन्होंने सर्वप्रथम चंद्रशेखर जोशी और पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति को धन्यवाद दिया कि पहाड़ की लुप्त होती संस्कृति को फिर से जीवंत करने का कार्य कर रहे हैं जो कि प्रशंसनीय है।
इस अवसर पर सतेंद्र पंवार ने कहा कि संघ का भी यही कार्य है कि समाज के लोगों को इकठ्ठा करना अपने हिंदू समाज की संस्कृति का संरक्षण करना, हिंदू समाज के जो – जो कार्य होते हैं उनमें अपनी भागेदारी करना। हम आज ईगास का पर्व मना रहे हैं बल्कि पूरा देश मना रहा है, और जिन लोगों ने भी इस संस्कृति का आरंभ किया और राष्ट्रीय स्तर पर इस पर्व को पहुंचाया वे सब बधाई के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि पहाड़ों में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। पूरा समाज एक हो जाता है, लोग पूरी, भूड़े बनाते हैं, और गांव में जिनका त्योहार नहीं होता है उनके घर भी देकर आते हैं ताकि जो लोग किसी कारणवश त्यौहार नहीं मना पाते हैं तो उनको ये न लगे कि हमारा त्यौहार नहीं था, तो ये पर्व समाज को जोड़ने और संगठित करने का काम भी करता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी यही कार्य करता है, समाज को संगठित करता है। और हमारे जो पर्व और त्यौहार हैं उनका भी यही काम है। हम समरसता की जो कल्पना करते हैं वो हमारे इन त्यौहारों में दिखती है।

आगे उन्होंने कहा कि आज समाज में बहुत सारी विकृतियां आ रही है, वो हमें जल्दी से पता नहीं चलती हैं पर धीरे – धीरे उनके दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं। उन्होंने कहा कि ये संघ का शताब्दी वर्ष चल रहा है, संघ अपने 100 वर्ष पूरे कर चुका है और जब संघ की शुरुआत हुई तब लोगों ने उसका मजाक उड़ाया था लेकिन आज दुनिया उसको स्वीकार कर रही है। इस संगठन के कारण आज हम जो राम राज्य की कल्पना को साकार होते देख रहे हैं। अब हम हर घर तक जा रहे हैं हर व्यक्ति तक पहुंचना हमारा लक्ष्य है । पूरे समाज को संगठित करना हमारा लक्ष्य है।

हम घर – घर जाकर लोगों को पंच परिवर्तन का संदेश देंगे। उसमें सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली, अभिव्यक्ति का विषय और नागरिक कर्तव्य बोध के विषय पर होगा। नवंबर से जनवरी तक अधिकांश प्रांत में ये अभियान चलेगा।
उसके बाद मंत्रोच्चार के साथ दीपों का पूजन किया गया और पहाड़ी के पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ के साथ भेलों की पूजा की गई और भेलों को जलाकर नाचते हुए ईगास पर्व मनाया गया। आज के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वयं सेवक और स्थानीय जनता शामिल हुई।
