
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 26 अक्टूबर 2025*
🌤️ *दिन – रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2082*
🌤️ *शक संवत – 1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – हेमंत ऋतु*
⛅ *अमांत – 10 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
⛅ *राष्ट्रीय तिथि – 4 कार्तिक मास*
🌤️ *मास – कार्तिक*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – पंचमी 27 अक्टूबर प्रातः 06:04 तक तत्पश्चात षष्ठी*
🌤️ *नक्षत्र – ज्येष्ठा सुबह 10:46 तक तत्पश्चात मूल*
🌤️ *योग – शोभन सुबह 06:46 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
🌤️ *राहुकाल – शाम 04: बन09 से शाम 05:31 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 06:26*
🌤️ *सूर्यास्त – 05:35*
👉 *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – लाभ पंचमी, पांडव ज्ञान पंचमी*
💥 *विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *छठ पर्व* 🌷
🙏🏻 *(28 अक्टूबर, मंगलवार) को छठ पूजा है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में सूर्य को साक्षात भगवान माना गया है, क्योंकि वे रोज हमें दर्शन देते हैं और उन्हीं के प्रकाश से हमें जीवनदायिनी शक्ति प्राप्त होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, रोज सूर्य की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।*
🌞 *पूजा विधि*
*छठ की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर शौच आदि कार्यों से निवृत्त होकर नदी के तट पर जाकर आचमन करें तथा सूर्योदय के समय शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान करें। इसके बाद पुन: आचमन कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और सप्ताक्षर मंत्र- ॐ खखोल्काय स्वाहा से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।*
🌞 *इसके बाद भगवान सूर्य को लाल फूल, लाल वस्त्र व रक्त चंदन अर्पित करें। धूप-दीप दिखाएं तथा पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। अंत में हाथ जोड़कर सूर्यदेव से प्रार्थना करें। इसके बाद नीचे लिखे शिव प्रोक्त सूर्याष्टक का पाठ करें-*
🌷 *आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।*
*दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर मनोस्तु ते।।*
*सप्ताश्चरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्ममज्म।*
*श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।*
*लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।*
*त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।*
*बृंहितं तेज:पुजं च वायु माकाशमेव च।*
*प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।*
*बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।*
*एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।*
*तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।*
*तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणामाम्यहम्।।*
🙏🏻 *इस प्रकार सूर्य की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।*
🌿 खुककला मुनक्का के उपाय खांसी में
🍇 1. खुककला + मुनक्का + शहद का मिश्रण
विधि:
5–6 मुनक्के के बीज निकाल लें।
1/2 चम्मच खुककला पाउडर (यह जड़ी-बूटी होती है, जिसे “खुककला” या “खुरासानी अजवायन” भी कहते हैं) लें।
दोनों को मिलाकर 1 चम्मच शहद के साथ खाएँ।
दिन में 2 बार — सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले।
लाभ:
✅ सूखी खांसी में तुरंत राहत
✅ गले की खराश, जलन और सूजन कम करता है
✅ फेफड़ों में जमी सूखापन को नम करता है
🥛 2. मुनक्का दूध (खुककला पाउडर मिलाकर)
विधि:
5 मुनक्के दूध में उबालें।
जब दूध थोड़ा गाढ़ा हो जाए, तो इसमें 1 चुटकी खुककला पाउडर डालें।
हल्का गुनगुना करके पी लें।
लाभ:
रात में खांसी और गले की खुजली को शांत करता है।
नींद भी अच्छी आती है।
🍵 3. खुककला और तुलसी का काढ़ा
विधि:
1/2 चम्मच खुककला
4–5 तुलसी के पत्ते
1/2 चम्मच अदरक का रस
1 कप पानी में उबालें, जब आधा रह जाए तो गुनगुना पीएं।
लाभ:
गले की सफाई, बलगम की समस्या और पुरानी खांसी में बहुत उपयोगी।
⚠️ सावधानी
खुककला गरम तासीर वाली होती है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में लें (1/2 चम्मच से अधिक नहीं)।
बच्चों को देने से पहले आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
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