
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌤️ *दिनांक – 25 सितम्बर 2025*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत – 1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – शरद ऋतु*
🌦️ *अमांत – 9 गते आश्विन मासप्रविष्टि*
🌦️ *राष्ट्रीय तिथि – 3 आश्विन मास*
🌤️ *मास – आश्विन*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – तृतीया सुबह 07:06 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
🌤️ *नक्षत्र – स्वाती शाम 07:09 तक तत्पश्चात विशाखा*
🌤️ *योग – वैधृति रात्रि 09:54 तक तत्पश्चात विष्कंभ*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01.38 से शाम 03:07 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 06:07*
🌤️ *सूर्यास्त – 06:10*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी*
💥 *विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🕉️~*वैदिक पंचांग* ~🕉️
🌷 *उपांग ललिता व्रत* 🌷
🙏🏻 *आदि शक्ति मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को इनके निमित्त उपांग ललिता व्रत किया जाता है। यह व्रत भक्तजनों के लिए शुभ फलदायक होता है। इस वर्ष उपांग ललिता व्रत 26 सितम्बर, शुक्रवार को है। इस दिन माता उपांग ललिता की पूजा करने से देवी मां की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में सदैव सुख व समृद्धि बनी रहती है।*
🙏🏻 *उपांग ललिता शक्ति का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है, जिसके अनुसार पिता दक्ष द्वारा अपमान से आहत होकर जब माता सती ने अपना देह त्याग दिया था और भगवान शिव उनका पार्थिव शव अपने कंधों में उठाए घूम रहें थे। उस समय भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती की देह को विभाजित कर दिया था। इसके बाद भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा।*
🙏🏻 *उपांग ललिता पंचमी के दिन भक्तगण व्रत एवं उपवास करते हैं। कालिका पुराण के अनुसार, देवी की चार भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं। ललिता देवी की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है। दक्षिणमार्गी शास्त्रों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है। इस दिन ललितासहस्रनाम व ललितात्रिशती का पाठ किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है।*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *नवरात्र की पंचमी तिथि यानी पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं ।इससे परिवार में सुख-शांति रहती है ।*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *स्कंदमाता की पूजा से मिलती है शांति व सुख*
*नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन स्वयं ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम स्वयं अपने सेनापति हैं। हमें सैन्य संचालन की शक्ति मिलती रहे। इसलिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती हैं।*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
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