
– इससे पड़ताल होगी कि योजना पर काम कितना हुआ और कहां रही कमी

– सिंचाई विभाग को बताना होगा कि कितनी खेती नियमित सिंचित भूमि में बदला
पहाड़ का सच देहरादून। धरातल पर सरकारी योजनाओं का कितना लाभ मिला,इसकी पड़ताल के लिए शासन ने आउटकम इंडिकेटर्स शुरू करने का फैसला लिया है। सिंचाई विभाग से इसकी शुरुआत की जा रही है।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित बैठक के दौरान विभागों को आउटकम इंडिकेटर्स निर्धारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभागों ने अपने कार्य क्षेत्र में विगत वर्षों के सापेक्ष कितना बढ़ोत्तरी की है, इसे आउटकम इंडिकेटर्स में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे विभागीय योजनाओं का मूल्यांकन भी हो सकेगा और विभाग किस दिशा में जा रहा है इसकी भी जानकारी मिलेगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि ‘की आउटकम इंडिकेटर’ (केओआई) निर्धारित करने में इन बातों का ध्यान रखा जाए कि विभाग़ द्वारा संचालित योजनाओं का क्या आउटकम रहा, इसका आंकलन हो सके। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग अपना आउटकम इंडिकेटर यह रखे कि उन्होंने प्रदेश की कितने प्रतिशत खेती योग्य भूमि को वर्षा आधारित सिंचाई को निश्चित सिंचाई में परिवर्तित किया है।
मुख्य सचिव ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा संचालित किसी योजना से पर्यटकों के औसत फुटफॉल में कितना बढ़ोत्तरी हुई है, या पर्यटकों की संख्या, पर्वतारोहियों और ट्रैकिंग करने वालों की संख्या आदि गतिविधियों में कितने प्रतिशत ग्रोथ प्राप्त की। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के तहत् उत्पादकता कितनी बढ़ी है, या एफपीओ का क्रेडिट फ्लो कितना बढ़ा है, इस पर ध्यान दिया जाए।
उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा गुणवत्ता में सुधार, क्षमता का उपयोग और आय में बढ़ोत्तरी को शामिल किया जा सकता है। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने सचिव सैनिक कल्याण को विभाग द्वारा दी जाने वाली प्री रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग को बढ़ाये जाने के निर्देश दिए हैं।
इस अवसर पर सचिव नितेश कुमार झा, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, श्रीधर बाबू अद्दांकी, धीरज सिंह गर्ब्याल, डॉ. रणवीर सिंह चौहान, एपीसीसीएफ कपिल लाल, डीजी होमगार्ड डॉ. पी.वी.के. प्रसाद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
क्या है आउटकम इंडिकेटर
ये वे मापन होते हैं, जो किसी योजना, परियोजना या शिक्षा में वांछित या अपेक्षित परिणामों की प्रगति और प्रभाव का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये संकेत यह समझने में मदद करते हैं कि क्या वह उद्देश्य पूरा हुआ है जिसे हासिल करने के लिए वह कार्य किया गया था अथवा नहीं।
परिणाम संकेतकों का महत्व, प्रगति की निगरानी
ये संकेतक किसी कार्यक्रम या परियोजना की प्रगति को ट्रैक करने में मदद करते हैं, जैसे कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न विकास कार्यक्रमों में।
प्रदर्शन का मापन:
ये दर्शाते हैं कि कोई लक्ष्य या उद्देश्य कितना हासिल हुआ है और यह सुधार या बदलाव कितना प्रभावी है।
उत्तरदायित्व:
आउटकम इंडिकेटर्स यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि संसाधन प्रभावी ढंग से उपयोग किए जा रहे हैं और वांछित परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।
सरकारी योजनाओं में उदाहरण
नीति आयोग का आउटपुट-आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क (OOMF) एक ऐसा ही उदाहरण है, जो यह देखने के लिए संकेतकों का उपयोग करता है कि सरकारी योजनाओं का कितना प्रभावी ढंग से लाभार्थियों तक पहुँच रही हैं और वे अपेक्षित परिणाम दे रही हैं या नहीं।
संक्षेप में, ‘आउटकम इंडिकेटर्स’ ऐसे ठोस माप हैं जो यह दर्शाते हैं कि कोई कार्य या कार्यक्रम कितना सफल रहा है और उसके अपेक्षित परिणाम क्या हैं।