

– अहम योगदान, सिविल इंजीनियर से भारत रत्न तक की यात्रा

– वर्ष 1955 में सर्वोच्च कार्यों के लिए प्रदान किया गया भारत रत्न
पहाड़ का सच नई दिल्ली/देहरादून।
15 सितंबर को भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया की जयंती पर हर साल इंजीनियर दिवस मनाया जाता है। उन्होंने भारतीय इंजीनियरिंग को नई दिशा दी। कृष्णराज सागर डैम, बाढ़ नियंत्रण योजना और औद्योगिक विकास में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है
यह दिन महान अभियंता, दूरदर्शी योजनाकार और समाज सुधारक सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की याद में समर्पित है। वे न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक अद्वितीय इंजीनियर, वैज्ञानिक और सफल प्रशासक के रूप में सम्मानित किए जाते हैं। साल 1955 में उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।
विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में हुआ था। अनुशासन, ईमानदारी और देश के प्रति गहरी निष्ठा उनकी पहचान रही। उन्होंने भारतीय इंजीनियरिंग को नई दिशा दी और आधुनिक भारत की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उल्लेखनीय योगदान
सर विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत के निर्माण में उनके कार्यों के लिए याद किया जाता है। कृष्णराज सागर बांध का निर्माण,
हैदराबाद में बाढ़ नियंत्रण योजना, स्वचालित स्लुइस गेट्स का आविष्कार के अलावा वे 1912 से 1918 तक मैसूर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) भी रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा व्यवस्था, रेलवे विस्तार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया।
. सम्मान और उपाधियां
1955 में भारत रत्न से सम्मानित
ब्रिटिश सरकार की ओर से KCIE (Knight Commander of the Order of the Indian Empire) की उपाधि
उन्हें भारतीय इंजीनियरिंग का “पितामह” भी कहा जाता है, जो एक लोकप्रिय और सम्मानजनक उपाधि है।
शिक्षा और करियर
अपनी प्रारंभिक पढ़ाई चिक्काबल्लापुर में करने के बाद वे बैंगलोर चले गए। 1881 में बैंगलोर में पढ़ाई पूरी की और इसके बाद पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के बाद वे बॉम्बे प्रेसीडेंसी के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) से जुड़े।
मशहूर है ट्रेन का दिलचस्प किस्सा
उनके जीवन से जुड़ा एक प्रसंग बेहद मशहूर है। एक बार ट्रेन से सफर के दौरान अंग्रेज यात्री एक भारतीय का मजाक उड़ा रहे थे। तभी उस भारतीय ने अचानक ट्रेन की चेन खींच दी। सभी नाराज हो गए, लेकिन उसने कहा कि पटरियों में गड़बड़ी है। जांच हुई तो सचमुच कुछ दूरी पर पटरी टूटी हुई मिली। यह शख्स और कोई नहीं बल्कि सर एम. विश्वेश्वरैया ही थे।

अभियंत्रण समाज की प्रगति और कल्याण के लिए सतत प्रयासरत: डा.सिंघल
अभियंता दिवस के अवसर पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। यह दिन महान अभियंता भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर मनाया जाता है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और दूरदृष्टि से देश के विकास में अमूल्य योगदान दिया। आज का दिन हमें यह स्मरण कराता है कि अभियंत्रण केवल विज्ञान और तकनीक का उपयोग नहीं, बल्कि समाज की प्रगति और कल्याण के लिए सतत प्रयास है।
यूजेवीएन लिमिटेड जलविद्युत एवं सौर ऊर्जा उत्पादन द्वारा स्वच्छ और हरित ऊर्जा के विकास की दिशा में निरंतर अग्रसर है। इस यात्रा में हमारे इंजीनियरों की प्रतिबद्धता, परिश्रम, लगन और कौशल से ही हम राज्य और राष्ट्र के सतत विकास में योगदान दे रहे हैं।
आइए, इस अवसर पर हम संकल्प लें कि तकनीक और नवाचार के साथ पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक दायित्व को संतुलित रखते हुए ऊर्जा एवं अन्य संरचनात्मक क्षेत्र में नई ऊंचाई हासिल करेंगे।
डॉ. संदीप सिंघल प्रबंध निदेशक यूजेवीएन लिमिटेड
हैप्पी इंजीनियर्स डे! इस विशेष अवसर पर हम सभी इंजीनियरों के अथक प्रयासों, नवोन्मेषी विचारों और प्रगति के प्रति समर्पण के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। आपका दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक और स्मार्ट, मज़बूत और टिकाऊ भविष्य है।
सभी प्रतिभाशाली मस्तिष्कों को सलाम, जो सपने देखते हैं, डिज़ाइन करते हैं और हमारे चारों ओर की दुनिया का निर्माण करते हैं। इंजीनियर ही असली समस्या-समाधानकर्ता, नवोन्मेषक और रचनाकार हैं, जो विचारों को हकीकत में बदलते हैं। इस विशेष दिन पर, आइए उनके कठिन परिश्रम, समर्पण और उस दृष्टि का उत्सव मनाएँ, जो जीवन को और आसान, बेहतर और खूबसूरत बनाती है:
ए के सिंह अधिशासी निदेशक ,उत्तराखंड जल विद्युत निगम

सर विश्वेश्वरैया जी को समर्पित इंजीनियर्स डे!
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*उनकी उपलब्धियां*: सर विश्वेश्वरैया एक महान अभियंता और राजनेता थे जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कृष्ण राज सागर बांध का निर्माण कराया, जिससे करोड़ों एकड़ बंजर भूमि को उर्वर बनाया गया।
– *उनका योगदान*: उन्होंने हैदराबाद शहर को बाढ़ मुक्त बनाने के लिए विशेषज्ञता प्रदान की और मुंबई के बंदरगाह क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए। उनकी ब्लॉक सिस्टम तकनीक ने सिंचाई और जल वितरण के क्षेत्र में क्रांति ला दी।
– *पुरस्कार और सम्मान*: उन्हें 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से नवाजा गया। उन्हें “आधुनिक भारत का भगीरथ” भी कहा जाता है।
– *प्रेरणा*: उनका जीवन हमें सिखाता है कि कठिन परिश्रम, समर्पण और अनुशासन के साथ किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
आप सर विश्वेश्वरैया जी को श्रद्धांजलि देने के लिए इस प्रकार के शब्दों का उपयोग कर सकते हैं:
“सर विश्वेश्वरैया जी, आपकी उपलब्धियों और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आप एक महान अभियंता और राजनेता थे जिन्होंने भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।”
अतुल शर्मा

