
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌤️ *दिनांक – 12 अगस्त 2025*
🌤️ *दिन – मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत – 1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ऋतु*
⛈️ *अमांत – 28 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
⛈️ *राष्ट्रीय तिथि – 21 श्रावण मास*
🌤️ *मास – भाद्रपद ( गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – तृतीया सुबह 08:40 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
🌤️ *नक्षत्र – पूर्वभाद्रपद सुबह 11:52 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद*
🌤️ *योग – सुकर्मा शाम 06:54 तक तत्पश्चात धृति*
🌤️ *राहुकाल – शाम 03:39 से शाम 05:18 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 05:43*
🌤️ *सूर्यास्त – 07:01*
👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – कजरी तीज, बहुला चौथ, संकष्ट चतुर्थी,(चन्द्रोदय: रात्रि 09:06), अंगार की -मंगलवारी चतुर्थी, (सुबह 08:40 से 13 अगस्त सूर्योदय तक), मंगला गौरी पूजन (अमावस्यांत), पंचक*
💥 *विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)*
💥 *चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।*
🕉️~*वैदिक पंचांग* ~🕉️
🌷 *जन्माष्टमी* 🌷
➡ *15 अगस्त 2025 शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त) एवं 16 अगस्त 2025 शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (भागवत)*
🙏🏻 *भारतवर्ष में रहनेवाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है | – ब्रह्मवैवर्त पुराण*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *गर्भवती देवी के लिये–जन्माष्टमी व्रत* 🌷
👩🏻 *जो गर्भवती देवी जन्माष्टमी का व्रत करती हैं….. उसका गर्भ ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय जन्म होता है….. ऐसा भविष्यपुराण में लिखा है |*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *20 करोड एकादशी का फल देनेवाला व्रत* 🌷
🙏 *जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है । उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात, जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्व है ।*
🙏 *भविष्य पुराण में लिखा है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है । जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता ।*
🙏 *एकादशी का व्रत हजारों – लाखों पाप नष्ट करनेवाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है*
🙏 *एकादशी के दिन जो संयम होता है उससे ज्यादा संयम जन्माष्टमी को होना चाहिए ।*
*बाजारु वस्तु तो वैसे भी साधक के लिए विष है लेकिन जन्माष्टमी के दिन तो चटोरापन, चाय, नाश्ता या इधर – उधर का कचरा अपने मुख में न डालें ।*
🙏 *इस दिन तो उपवास का आत्मिक अमृत पान करें ।अन्न, जल, तो रोज खाते – पीते रहते हैं, अब परमात्मा का रस ही पियें । अपने अहं को खाकर समाप्त कर दें।*
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पंचक शुरू- 10 अगस्त 2025, रविवार को रात 02:11 बजे
पंचक खत्म- 14 अगस्त 2025, बृहस्पतिवार को सुबह 09:06 बजे
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
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