
– भाजपा नेताओं के करीबी रिश्तेदार हारे चुनाव

पहाड़ का सच देहरादून।
पंचायत चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस और भाजपा के नेता जीत के बड़े बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन गांव की सरकार के असली किंग मेकर मतदाताओं ने आईना भी दिखा दिया है। कुछ खास सीटों पर दो टूक फैसला सुना भविष्य के लिए घंटी भी बजा दी है।
इस पंचायत चुनाव की एक खूबी यह भी रही कि ग्रामीण मतदाताओं ने कहीं जमकर आंखे तरेरी तो कहीं युवा, शिक्षित व उत्साही लड़के लड़कियों की झोली आशीर्वाद से भी भर दी।
उत्तराखण्ड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतदाताओं ने विशेषकर राजनीतिक दलों के परिवारवाद को गहरी चोट दी। इस चुनाव में सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं के मन की नहीं चली। अपने पुत्र, पत्नी व परिजनों को चुनाव लड़ाने की जिद ने पार्टी के बाकी उम्मीदवारों को गुस्से से भर दिया। कुछ ने बतौर बागी ही खम ठोक दी।
गढ़वाल और कुमाऊं के कई भाजपा नेताओं के करीबी रिश्तेदार चुनाव हार गए। सल्ट से भाजपा विधायक महेश जीना के पुत्र करन जीना की हार हुई। नैनीताल से भाजपा विधायक सरिता आर्य के पुत्र को जीत के लाले पड़ गए। भीमताल से भाजपा विधायक राम सिंह कैड़ा की बहू भी जिला पंचायत का चुनाव हार गई।
पौड़ी जिले की लैंसडौन विधानसभा से तीन बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने दलीप रावत की पत्नी नीतू रावत जिला पंचायत का चुनाव हार गईं। नीतू रावत 2018 के नगर निगम कोटद्वार के चुनाव में भी हार चुकी हैं। यही नहीं, विधायक दलीप रावत की भाभी बीना रावत भी बीडीसी सदस्य का चुनाव हार गईं।
चमोली जिले के भाजपा नेता व पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह भंडारी की निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी की हार भी कई कहानी कह गयी। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बागी चुनाव लड़ रही रजनी भंडारी चौथे स्थान पर रही। एक।नाटकीय घटनाक्रम के तहत राजेन्द्र भंडारी ऐन लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की विधायकी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे।
बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा, अल्मोड़ा के संतोष कुमार राम नौगांव सीट पर हारे। साथ ही क उनकी पत्नी पूजा देवी भी डूंगरलेख सीट से चुनाव हारीं । पूजा देवी तीसरे स्थान पर रहीं।
नैनीताल जिला पंचायत की निवर्तमान अध्यक्ष बेला टोलिया जिला पंचायत व कपकोट ब्लॉक के पूर्व प्रमुख गोविंद दानू बीडीसी चुनाव हार गए. भाजपा के लिए यह भी बड़ा झटका रही। इसके अलावा कई अन्य सीटों पर भी भाजपा नेताओं के करीबियों को विपरीत हालात का सामना करना पड़ा।
अलबत्ता,भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान अपनी पत्नी व दून की निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान को जिता ले गए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह व शूरवीर सिंह सजवाण भी अपने पुत्रों को जिला पंचायत का चुनाव जिताने में सफल रहे।
परिवारवाद के खिलाफ ज्यादा गुस्सा भाजपा के खिलाफ देखा गया। इन चुनाव परिणाम से यह भो जाहिर हो रहा है कि ग्रामीण इलाकों में भाजपा जनप्रतिनिधियों के खिलाफ विशेष गुस्सा पनप रहा है। यह आक्रोश भविष्य के बड़े खतरे की ओर भी इशारा कर रहा है।
