
पहाड़ का सच नैनीताल।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य की जमानत याचिका पर सुनवाई की, आरोपी ने कोटद्वार कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने निचली अदालत का पूरा रिकॉर्ड तलब किया है, और अगली सुनवाई की तिथि 18 नवम्बर 2025 तय की है।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ में हुई। कोटद्वार की विशेष अदालत ने 30 मई 2025 को इस मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 302 (हत्या), 354A (यौन उत्पीड़न), और 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 47 गवाह पेश किए गए थे।
पुलकित आर्य की ओर से वकील ने कोर्ट में कहा कि मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है। मृतका का शव एक नहर (कैनाल) से बरामद हुआ था, जिससे हत्या का कोई ठोस साक्ष्य सामने नहीं आता। वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी और उसके दो अन्य साथियों की मोबाइल लोकेशन घटना स्थल के आसपास पाई गई। फोरेंसिक जांच में भी यही पुष्टि हुई है। मृतका ने अपने व्हाट्सएप चैट में उत्पीड़न का जिक्र किया था। आरोपी ने घटना के बाद रिसॉर्ट के सीसीटीवी कैमरे बंद करवा दिए और डीवीआर से छेड़छाड़ की।
क्या है पूरा मामला?
पौड़ी जिले के डोभ श्रीकोट गांव की निवासी अंकिता भंडारी ऋषिकेश के वनंत्रा रिजॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करती थी।आरोप है कि रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, उसके दो साथी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने 18 सितंबर 2022 की रात को अंकिता को चीला बैराज के पास नहर में धक्का देकर हत्या कर दी। हत्या के पीछे कथित कारण यह था कि अंकिता, रिसॉर्ट में आने वाले खास मेहमानों को “स्पेशल सर्विस” देने से इनकार कर रही थी, जिससे पुलकित नाराज़ था। घटना के कुछ दिनों बाद जब अंकिता लापता हो गई, तब परिजनों और आम जनता के दबाव के चलते जांच तेज हुई और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
मामले में तीनों आरोपियों को सितंबर 2022 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था और तभी से वे न्यायिक हिरासत में हैं। इस हत्याकांड को लेकर पूरे राज्य में भारी जनाक्रोश फैला था, जिसके चलते सरकार को तत्काल प्रभाव से रिसॉर्ट गिराने और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में मामला चलाने जैसे कदम उठाने पड़े थे।
